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\v 17 उसने उनकी ओर देखकर कहा, “फिर यह क्या लिखा है:
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‘जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था,
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वही कोने का सिरा हो गया।’ (भज. 118:22-23)
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\v 18 जो कोई उस पत्थर पर गिरेगा वह चकनाचूर हो जाएगा*, और जिस पर वह गिरेगा, उसको पीस डालेगा।” (दानि. 2:34-35)
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वही कोने का सिरा हो गया।’ (भज. 118:22-23) \v 18 जो कोई उस पत्थर पर गिरेगा वह चकनाचूर हो जाएगा*, और जिस पर वह गिरेगा, उसको पीस डालेगा।” (दानि. 2:34-35)
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\v 19 उसी घड़ी शास्त्रियों और प्रधान याजकों ने उसे पकड़ना चाहा, क्योंकि समझ गए थे, कि उसने उनके विरुद्ध दृष्टान्त कहा, परन्तु वे लोगों से डरे। \v 20 और वे उसकी ताक में लगे और भेदिये भेजे, कि धर्मी का भेष धरकर उसकी कोई न कोई बात पकड़ें, कि उसे राज्यपाल के हाथ और अधिकार में सौंप दें।
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\v 21 उन्होंने उससे यह पूछा, “हे गुरु, हम जानते हैं कि तू ठीक कहता, और सिखाता भी है, और किसी का पक्षपात नहीं करता; वरन् परमेश्वर का मार्ग सच्चाई से बताता है। \v 22 क्या हमें कैसर को कर देना उचित है, कि नहीं?”
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\v 23 उसने उनकी चतुराई को ताड़कर उनसे कहा, \v 24 “एक दीनार मुझे दिखाओ। इस पर किसके छाप और नाम है?” उन्होंने कहा, “कैसर का।”
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\v 25 उसने उनसे कहा, “तो जो कैसर का है, वह कैसर को दो और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो।” \v 26 वे लोगों के सामने उस बात को पकड़ न सके, वरन् उसके उत्तर से अचम्भित होकर चुप रह गए।
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\v 27 फिर सदूकी जो कहते हैं, कि मरे हुओं का जी उठना है ही नहीं, उनमें से कुछ ने उसके पास आकर पूछा। \v 28 “हे गुरु, मूसा ने हमारे लिये यह लिखा है, ‘यदि किसी का भाई अपनी पत्नी के रहते हुए बिना सन्तान मर जाए, तो उसका भाई उसकी पत्नी से विवाह कर ले, और अपने भाई के लिये वंश उत्पन्न करे।’ (उत्प. 38:8, व्य. 25:5)
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\v 29 सात भाई थे, पहला भाई विवाह करके बिना सन्तान मर गया। \v 30 फिर दूसरे ने भी, \v 31 और तीसरे ने भी उस स्त्री से विवाह कर लिया। इसी रीति से सातों बिना सन्तान मर गए। \v 32 सब के पीछे वह स्त्री भी मर गई। \v 33 जी उठने पर वह उनमें से किस की पत्नी होगी, क्योंकि वह सातों की पत्नी रह चुकी थी।”
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\v 34 यीशु ने उनसे कहा, “इस युग के सन्तानों में तो विवाह-शादी होती है, \v 35 पर जो लोग इस योग्य ठहरेंगे, की उस युग को और मरे हुओं में से जी उठना प्राप्त करें, उनमें विवाह-शादी न होगी। \v 36 वे फिर मरेंगे भी नहीं; क्योंकि वे स्वर्गदूतों के समान होंगे, और पुनरुत्थान की सन्तान होने से परमेश्वर के भी सन्तान होंगे।
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\v 37 परन्तु इस बात को कि मरे हुए जी उठते हैं, मूसा ने भी झाड़ी की कथा में प्रगट की है, वह प्रभु को ‘अब्राहम का परमेश्वर, और इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमेश्वर’ कहता है। (निर्ग. 3:2, निर्ग. 3:6)
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38 परमेश्वर तो मुर्दों का नहीं परन्तु जीवितों का परमेश्वर है: क्योंकि उसके निकट सब जीवित हैं।”
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"20-09",
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"20-11",
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"20-15"
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"20-15",
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"20-25",
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"20-27",
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"20-29",
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"20-34"
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