Thu Dec 05 2024 11:08:02 GMT+0530 (India Standard Time)
This commit is contained in:
parent
1e0c522fc5
commit
6a3b72f33b
|
@ -1 +1,2 @@
|
|||
\v 37 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि यह जो लिखा है, ‘वह अपराधी के साथ गिना गया,’ उसका मुझ में पूरा होना अवश्य है; क्योंकि मेरे विषय की बातें पूरी होने पर हैं।” (गला. 3:13, 2 कुरि. 5:21, यशा. 53:12) \v 38 उन्होंने कहा, “हे प्रभु, देख, यहाँ दो तलवारें हैं।” उसने उनसे कहा, “बहुत हैं।” 'जैतून के पहाड़ पर यीशु की प्रार्थना
|
||||
\v 37 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि यह जो लिखा है, ‘वह अपराधी के साथ गिना गया,’ उसका मुझ में पूरा होना अवश्य है; क्योंकि मेरे विषय की बातें पूरी होने पर हैं।” (गला. 3:13, 2 कुरि. 5:21, यशा. 53:12) \v 38 उन्होंने कहा, “हे प्रभु, देख, यहाँ दो तलवारें हैं।” उसने उनसे कहा, “बहुत हैं।” '
|
||||
जैतून के पहाड़ पर यीशु की प्रार्थना
|
|
@ -1 +1,2 @@
|
|||
\v 45 तब वह प्रार्थना से उठा और अपने चेलों के पास आकर उन्हें उदासी के मारे सोता पाया। \v 46 और उनसे कहा, “क्यों सोते हो? उठो, प्रार्थना करो, कि परीक्षा में न पड़ो।” यीशु को बन्दी बनाना
|
||||
\v 45 तब वह प्रार्थना से उठा और अपने चेलों के पास आकर उन्हें उदासी के मारे सोता पाया। \v 46 और उनसे कहा, “क्यों सोते हो? उठो, प्रार्थना करो, कि परीक्षा में न पड़ो।”
|
||||
यीशु को बन्दी बनाना
|
|
@ -1 +1,2 @@
|
|||
\v 52 तब यीशु ने प्रधान याजकों और मन्दिर के पहरुओं के सरदारों और प्राचीनों से, जो उस पर चढ़ आए थे, कहा, “क्या तुम मुझे डाकू जानकर तलवारें और लाठियाँ लिए हुए निकले हो? \v 53 जब मैं मन्दिर में हर दिन तुम्हारे साथ था, तो तुम ने मुझ पर हाथ न डाला; पर यह तुम्हारी घड़ी है, और अंधकार का अधिकार है।” पतरस का इन्कार
|
||||
\v 52 तब यीशु ने प्रधान याजकों और मन्दिर के पहरुओं के सरदारों और प्राचीनों से, जो उस पर चढ़ आए थे, कहा, “क्या तुम मुझे डाकू जानकर तलवारें और लाठियाँ लिए हुए निकले हो? \v 53 जब मैं मन्दिर में हर दिन तुम्हारे साथ था, तो तुम ने मुझ पर हाथ न डाला; पर यह तुम्हारी घड़ी है, और अंधकार का अधिकार है।”
|
||||
पतरस का इन्कार
|
|
@ -1 +1,2 @@
|
|||
\v 61 तब प्रभु ने घूमकर पतरस की ओर देखा, और पतरस को प्रभु की वह बात याद आई जो उसने कही थी, “आज मुर्गे के बाँग देने से पहले, तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा।” \v 62 और वह बाहर निकलकर फूट-फूट कर रोने लगा। यीशु का उपहास
|
||||
\v 61 तब प्रभु ने घूमकर पतरस की ओर देखा, और पतरस को प्रभु की वह बात याद आई जो उसने कही थी, “आज मुर्गे के बाँग देने से पहले, तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा।” \v 62 और वह बाहर निकलकर फूट-फूट कर रोने लगा।
|
||||
यीशु का उपहास
|
|
@ -1 +1,2 @@
|
|||
\v 63 जो मनुष्य यीशु को पकड़े हुए थे, वे उसका उपहास करके पीटने लगे; \v 64 और उसकी आँखें ढाँपकर उससे पूछा, “भविष्यद्वाणी करके बता कि तुझे किसने मारा।” \v 65 और उन्होंने बहुत सी और भी निन्दा की बातें उसके विरोध में कहीं। पुरनिए और महासभा के सामने यीशु
|
||||
\v 63 जो मनुष्य यीशु को पकड़े हुए थे, वे उसका उपहास करके पीटने लगे; \v 64 और उसकी आँखें ढाँपकर उससे पूछा, “भविष्यद्वाणी करके बता कि तुझे किसने मारा।” \v 65 और उन्होंने बहुत सी और भी निन्दा की बातें उसके विरोध में कहीं।
|
||||
पुरनिए और महासभा के सामने यीशु
|
|
@ -373,15 +373,11 @@
|
|||
"22-39",
|
||||
"22-41",
|
||||
"22-43",
|
||||
"22-45",
|
||||
"22-47",
|
||||
"22-49",
|
||||
"22-52",
|
||||
"22-54",
|
||||
"22-56",
|
||||
"22-59",
|
||||
"22-61",
|
||||
"22-63",
|
||||
"22-66",
|
||||
"22-69",
|
||||
"23-title",
|
||||
|
|
Loading…
Reference in New Issue