diff --git a/22/37.txt b/22/37.txt index e3ad1a7..521b0a6 100644 --- a/22/37.txt +++ b/22/37.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 37 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि यह जो लिखा है, ‘वह अपराधी के साथ गिना गया,’ उसका मुझ में पूरा होना अवश्य है; क्योंकि मेरे विषय की बातें पूरी होने पर हैं।” (गला. 3:13, 2 कुरि. 5:21, यशा. 53:12) \v 38 उन्होंने कहा, “हे प्रभु, देख, यहाँ दो तलवारें हैं।” उसने उनसे कहा, “बहुत हैं।” 'जैतून के पहाड़ पर यीशु की प्रार्थना \ No newline at end of file +\v 37 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि यह जो लिखा है, ‘वह अपराधी के साथ गिना गया,’ उसका मुझ में पूरा होना अवश्य है; क्योंकि मेरे विषय की बातें पूरी होने पर हैं।” (गला. 3:13, 2 कुरि. 5:21, यशा. 53:12) \v 38 उन्होंने कहा, “हे प्रभु, देख, यहाँ दो तलवारें हैं।” उसने उनसे कहा, “बहुत हैं।” ' +जैतून के पहाड़ पर यीशु की प्रार्थना \ No newline at end of file diff --git a/22/45.txt b/22/45.txt index fc5a26c..bce04df 100644 --- a/22/45.txt +++ b/22/45.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 45 तब वह प्रार्थना से उठा और अपने चेलों के पास आकर उन्हें उदासी के मारे सोता पाया। \v 46 और उनसे कहा, “क्यों सोते हो? उठो, प्रार्थना करो, कि परीक्षा में न पड़ो।” यीशु को बन्दी बनाना \ No newline at end of file +\v 45 तब वह प्रार्थना से उठा और अपने चेलों के पास आकर उन्हें उदासी के मारे सोता पाया। \v 46 और उनसे कहा, “क्यों सोते हो? उठो, प्रार्थना करो, कि परीक्षा में न पड़ो।” +यीशु को बन्दी बनाना \ No newline at end of file diff --git a/22/52.txt b/22/52.txt index 58b5d7b..5d6bfbd 100644 --- a/22/52.txt +++ b/22/52.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 52 तब यीशु ने प्रधान याजकों और मन्दिर के पहरुओं के सरदारों और प्राचीनों से, जो उस पर चढ़ आए थे, कहा, “क्या तुम मुझे डाकू जानकर तलवारें और लाठियाँ लिए हुए निकले हो? \v 53 जब मैं मन्दिर में हर दिन तुम्हारे साथ था, तो तुम ने मुझ पर हाथ न डाला; पर यह तुम्हारी घड़ी है, और अंधकार का अधिकार है।” पतरस का इन्कार \ No newline at end of file +\v 52 तब यीशु ने प्रधान याजकों और मन्दिर के पहरुओं के सरदारों और प्राचीनों से, जो उस पर चढ़ आए थे, कहा, “क्या तुम मुझे डाकू जानकर तलवारें और लाठियाँ लिए हुए निकले हो? \v 53 जब मैं मन्दिर में हर दिन तुम्हारे साथ था, तो तुम ने मुझ पर हाथ न डाला; पर यह तुम्हारी घड़ी है, और अंधकार का अधिकार है।” +पतरस का इन्कार \ No newline at end of file diff --git a/22/61.txt b/22/61.txt index 5d9e48b..d59abe3 100644 --- a/22/61.txt +++ b/22/61.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 61 तब प्रभु ने घूमकर पतरस की ओर देखा, और पतरस को प्रभु की वह बात याद आई जो उसने कही थी, “आज मुर्गे के बाँग देने से पहले, तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा।” \v 62 और वह बाहर निकलकर फूट-फूट कर रोने लगा। यीशु का उपहास \ No newline at end of file +\v 61 तब प्रभु ने घूमकर पतरस की ओर देखा, और पतरस को प्रभु की वह बात याद आई जो उसने कही थी, “आज मुर्गे के बाँग देने से पहले, तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा।” \v 62 और वह बाहर निकलकर फूट-फूट कर रोने लगा। +यीशु का उपहास \ No newline at end of file diff --git a/22/63.txt b/22/63.txt index 301a9f0..20fac3e 100644 --- a/22/63.txt +++ b/22/63.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 63 जो मनुष्य यीशु को पकड़े हुए थे, वे उसका उपहास करके पीटने लगे; \v 64 और उसकी आँखें ढाँपकर उससे पूछा, “भविष्यद्वाणी करके बता कि तुझे किसने मारा।” \v 65 और उन्होंने बहुत सी और भी निन्दा की बातें उसके विरोध में कहीं। पुरनिए और महासभा के सामने यीशु \ No newline at end of file +\v 63 जो मनुष्य यीशु को पकड़े हुए थे, वे उसका उपहास करके पीटने लगे; \v 64 और उसकी आँखें ढाँपकर उससे पूछा, “भविष्यद्वाणी करके बता कि तुझे किसने मारा।” \v 65 और उन्होंने बहुत सी और भी निन्दा की बातें उसके विरोध में कहीं। +पुरनिए और महासभा के सामने यीशु \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 740bd91..6a1ebf5 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -373,15 +373,11 @@ "22-39", "22-41", "22-43", - "22-45", "22-47", "22-49", - "22-52", "22-54", "22-56", "22-59", - "22-61", - "22-63", "22-66", "22-69", "23-title",