Sun Nov 17 2024 23:01:13 GMT+0530 (India Standard Time)

This commit is contained in:
Vachaa 2024-11-17 23:01:13 +05:30
parent 24d0f8d16f
commit 852d875655
4 changed files with 6 additions and 1 deletions

1
03/05.txt Normal file
View File

@ -0,0 +1 @@
\v 5 वे तो जान-बूझकर यह भूल जाते हैं, कि परमेश्‍वर के वचन के द्वारा आकाश प्राचीनकाल से विद्यमान है और पृथ्वी जल में से बनी और जल में स्थिर है (उत्प. 1:6-9) \v 6 इन्हीं के द्वारा उस युग का संसार जल प्रलय में डूब कर नाश हो गया। (उत्प. 7:11-21) \v 7 परन्तु वर्तमान काल के आकाश और पृथ्वी, उसी वचन के द्वारा* इसलिए सुरक्षित रखे गए हैं, कि आग से नष्ट किये जाएँ; और अधर्मी मनुष्यों के न्याय और नाश होने के दिन तक ऐसे ही रखे जायेंगे।

1
03/08.txt Normal file
View File

@ -0,0 +1 @@
\v 8 परन्तु हे प्रियों, यह एक बात तुम से छिपी न रहे, कि प्रभु के साथ एक दिन हजार वर्ष के बराबर है, और हजार वर्ष एक दिन के बराबर हैं। (भज. 90:4) \v 9 प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता*, जैसी कितने लोग समझते हैं; पर वह हमारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; वरन् यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले। (हब. 2:3-4)

1
03/10.txt Normal file
View File

@ -0,0 +1 @@
\v 10 10 परन्तु प्रभु का दिन* चोर की नाईं आ जाएगा। उस दिन आकाश बड़े शोर के साथ विलीन हो जाएगा, और तत्व अत्यन्त ताप से पिघल जाएँगे; और पृथ्वी और उसके कामों का न्याय होगा।

View File

@ -57,6 +57,8 @@
"02-20", "02-20",
"03-title", "03-title",
"03-01", "03-01",
"03-03" "03-03",
"03-05",
"03-08"
] ]
} }