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\v 5 वे तो जान-बूझकर यह भूल जाते हैं, कि परमेश्वर के वचन के द्वारा आकाश प्राचीनकाल से विद्यमान है और पृथ्वी जल में से बनी और जल में स्थिर है (उत्प. 1:6-9) \v 6 इन्हीं के द्वारा उस युग का संसार जल प्रलय में डूब कर नाश हो गया। (उत्प. 7:11-21) \v 7 परन्तु वर्तमान काल के आकाश और पृथ्वी, उसी वचन के द्वारा* इसलिए सुरक्षित रखे गए हैं, कि आग से नष्ट किये जाएँ; और अधर्मी मनुष्यों के न्याय और नाश होने के दिन तक ऐसे ही रखे जायेंगे। |