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\v 5 और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्न करके, अपने विश्वास में भलाई, भलाई में ज्ञान, ज्ञान में संयम, संयम में धीरज, धीरज में भक्ति; \v 7 भक्ति में भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति में प्रेम, बढ़ाते जाओ।
\v 5 और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्न करके, अपने विश्वास में भलाई, भलाई में ज्ञान, \v 6 ज्ञान में संयम, संयम में धीरज, धीरज में भक्ति; \v 7 भक्ति में भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति में प्रेम, बढ़ाते जाओ।

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\v 8 क्योंकि यदि ये बातें वर्तमान में तुम में हों और बढ़ती जाएं, तो वे तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह की पहचान में निकम्मे और निष्फल न होने देंगी। \v 9 क्योंकि जिसमें ये बातें नहीं, वह अंधा है, और धुन्धला देखता है*, और अपने पुराने पापों से धुलकर शुद्ध होने को भूल बैठा है।

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\v 10 \v 11 इस कारण हे भाइयों, अपने बुलाए जाने, और चुन लिये जाने को सिद्ध करने का भली भाँति यत्न करते जाओ, क्योंकि यदि ऐसा करोगे, तो कभी भी ठोकर न खाओगे; 11 क्योंकि इस रीति से तुम हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनन्त राज्य में बड़े आदर के साथ प्रवेश करने पाओगे।