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\v 27 माय कष्ट केयो कठीन कामे केये गोजारो गाल्यो, खुब जागरण केयो, मान पुरव मान पाहापी मालुम हाय खुप दा माय बीना मांडा रेहलो हाय, हीयालाम बिना पोतडा माय दिही काडला हाय. \v 28 या आख्या गोठीमने रोजजुज मापे आवनारो दबाव म्हणजे मंडळी विषयु चिंता. \v 29 ऐगेा थाकी जातो ता माय थाकतो नाहा का ? केदा बिहजाल पापाम पाहनु कारन आथेा ता मान रोग नाय आवे का ?