diff --git a/15/33.txt b/15/33.txt index 5912648..0ce84cd 100644 --- a/15/33.txt +++ b/15/33.txt @@ -1,2 +1 @@ -ठोगाया मा वाईट संगतुकी हाव्याहोवाय बिगकुत्या हा -नीतिमत्वा संबधा की शुध्दीप आवा आन पाप केता जाहा मा काहाका तुमामते आरदा लोक देवा गोठीकी मरण हाय अज्ञानी हाय इ माय तुमान होमजाया वाटो आखुहु +\v 33 ठोगाया मा वाईट संगतुकी हाव्याहोवाय बिगकुत्या हा. \v 34 नीतिमत्वा संबधा की शुध्दीप आवा आन पाप केता जाहा मा काहाका तुमामते आरदा लोक देवा गोठीकी मरण हाय अज्ञानी हाय इ माय तुमान होमजाया वाटो आखुहु \ No newline at end of file diff --git a/15/35.txt b/15/35.txt new file mode 100644 index 0000000..1508a25 --- /dev/null +++ b/15/35.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 35 पेन केडाय तेबी आख्यो जे मोई गीये तीयाव केहकी उठवुते हे केलल्या रीतीकी केलला शरीरा की ते आवतेहे. \v 36 तु ओतो मुर्ख हाय का तु जो पोतोहो तो मोतो नाहा तीया शिवाय तो जीवतो वेतो नाहा \ No newline at end of file diff --git a/15/37.txt b/15/37.txt new file mode 100644 index 0000000..76ec97e --- /dev/null +++ b/15/37.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 37 आन तु जो पोतो हो तो मोना होस आनी तेहकी पोतो नाहा ता नुसतो दानो तु पोतोहो तो फासे गोऊरे का जुवाई. \v 38 आने फासे देवाय तीयाय निवर्डुल्या प्रमाणे तीयाल आकार देहे जो प्रत्येक दानाल तीया सोता शरीर देहे. \v 39 जिवता जानवरा आखा शरिर सारखो नाहा रेतो माहा शरिर जुदो रेहे जनावरा शरिर जुदो रेहे पक्ष्या शरिर जुदो रेहे आन माहा शरिर जुदो रेहे. \ No newline at end of file diff --git a/15/40.txt b/15/40.txt new file mode 100644 index 0000000..9e1c4b9 --- /dev/null +++ b/15/40.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 40 तेहकीज स्वर्गीय शरिर हाय आन पेन शरिर हाय पेण स्वर्गीय शरिर अलग प्रकारू हाय आन पृथ्वीपेन शरिर बीहजो प्रकारू हाय. \p \v 41 तेहकीज सुर्या ऊजवाडो जेदो रेहे ता चंद्र ऊजवाडो जुदो रेहे आन तारा ऊजवाडो जुदो रेहे आन ऊजवाडा गोठीम एक तारो बीहजा तारो जुदा रेहे. \ No newline at end of file diff --git a/15/42.txt b/15/42.txt new file mode 100644 index 0000000..bdf4f37 --- /dev/null +++ b/15/42.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 42 तीयाल मेाला माहा पुनरूत्थान ऐहकी वेरी जो शरीर तोरतिम पुरलो हाय तो पारवाय जानारो हाय आन जो ऊठवुलो जाणारो शरिर हाय तो किदीज नाय पारवानारो हाय. \v 43 जो ऊपमानाम पुरलो जाहे तो गौरवाम उठवुलो जाहे आन जो अशक्तपणाम पुरलो जाहे तो सामर्थ्याम उठवुलो जाहे. \v 44 जो जमिनीम पुरलो जाहे तो नैसर्गीक शरिर हाय आन जो उठवुलो जाहे तो आत्मीक शरिर हाय जर नैसर्गीक शरिर हाय ता आध्यात्मीक शरिर बी हाय. \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 1fcc742..0782e2e 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -208,6 +208,10 @@ "15-24", "15-27", "15-29", - "15-31" + "15-31", + "15-33", + "15-35", + "15-37", + "15-40" ] } \ No newline at end of file