hi_rom_text_reg/12/14.txt

1 line
594 B
Plaintext

\v 14 अपने सतानेवालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो। \v 15 आनन्द करनेवालों के साथ आनन्द करो, और रोनेवालों के साथ रोओ। (भज. 35:13) \v 16 आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो; परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो। (नीति. 3:7, यशा. 5:21)