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\c 6 \v 1 तो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें कि अनुग्रह बहुत हो? \v 2 कदापि नहीं! हम जब पाप के लिये मर गए* तो फिर आगे को उसमें कैसे जीवन बिताएँ? \v 3 क्या तुम नहीं जानते कि हम सब जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उसकी मृत्यु का बपतिस्मा लिया?