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\v 5 धीरज, और प्रोत्साहन का दाता परमेश्‍वर तुम्हें यह वरदान दे, कि मसीह यीशु के अनुसार आपस में एक मन रहो। \v 6 ताकि तुम एक मन* और एक स्वर होकर हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता परमेश्‍वर की स्‍तुति करो। \v 7 इसलिए, जैसा मसीह ने भी परमेश्‍वर की महिमा के लिये तुम्हें ग्रहण किया है, वैसे ही तुम भी एक दूसरे को ग्रहण करो।