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\v 17 परन्तु परमेश्‍वर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे अब मन से उस उपदेश के माननेवाले हो गए, जिसके साँचे में ढाले गए थे, \v 18 और पाप से छुड़ाए जाकर* धार्मिकता के दास हो गए।