\v 6 जिसे परमेश्वर बिना कर्मों के धर्मी ठहराता है, उसे दाऊद भी धन्य कहता है: \v 7 “धन्य वे हैं, जिनके अधर्म क्षमा हुए,
और जिनके पाप ढांपे गए। \v 8 धन्य है वह मनुष्य जिसे परमेश्वर पापी न ठहराए।” (भज. 32:2)