\v 16 अब तुम्हारी भलाई की निन्दा न होने पाए। \v 17 क्योंकि परमेश्‍वर का राज्य खाना-पीना नहीं; परन्तु धार्मिकता और मिलाप और वह आनन्द है जो पवित्र आत्मा से होता है।