Wed Nov 13 2024 11:58:31 GMT+0530 (India Standard Time)
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\v 30 \v 31 \v 32 30 क्योंकि जैसे तुम ने पहले परमेश्वर की आज्ञा न मानी परन्तु अभी उनके आज्ञा न मानने से तुम पर दया हुई। 31 वैसे ही उन्होंने भी अब आज्ञा न मानी कि तुम पर जो दया होती है इससे उन पर भी दया हो। 32 क्योंकि परमेश्वर ने सब को आज्ञा न मानने के कारण बन्द कर रखा ताकि वह सब पर दया करे।
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\v 30 क्योंकि जैसे तुम ने पहले परमेश्वर की आज्ञा न मानी परन्तु अभी उनके आज्ञा न मानने से तुम पर दया हुई। \v 31 वैसे ही उन्होंने भी अब आज्ञा न मानी कि तुम पर जो दया होती है इससे उन पर भी दया हो। \v 32 क्योंकि परमेश्वर ने सब को आज्ञा न मानने के कारण बन्द कर रखा ताकि वह सब पर दया करे।
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\v 33 \v 34 33 अहा, परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गम्भीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं!
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\v 34 “प्रभु कि बुद्धि को किस ने जाना?
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या कौन उनका सलाहकार बन गया है? (अय्यू. 15:8, यिर्म. 23:18)
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"11-23",
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"11-25",
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"11-26",
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"11-28"
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"11-28",
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"11-30"
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