Tue Nov 12 2024 17:08:34 GMT+0530 (India Standard Time)
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8ebe3e5325
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\v 22 कि परमेश्वर ने अपना क्रोध दिखाने और अपनी सामर्थ्य प्रगट करने की इच्छा से क्रोध के बरतनों की, जो विनाश के लिये तैयार किए गए थे बड़े धीरज से सही। (नीति. 16:4) \v 23 और दया के बरतनों पर जिन्हें उसने महिमा के लिये पहले से तैयार किया, अपने महिमा के धन को प्रगट करने की इच्छा की? \v 24 अर्थात् हम पर जिन्हें उसने न केवल यहूदियों में से वरन् अन्यजातियों में से भी बुलाया। (इफि. 3:6, रोम. 3:29)
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\v 25 \v 26 25 जैसा वह होशे की पुस्तक में भी कहता है,
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“जो मेरी प्रजा न थी, उन्हें मैं अपनी प्रजा कहूँगा,
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और जो प्रिया न थी, उसे प्रिया कहूँगा; (होशे 2:23)
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26 और ऐसा होगा कि जिस जगह में उनसे यह कहा गया था, कि तुम मेरी प्रजा नहीं हो,
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उसी जगह वे जीविते परमेश्वर की सन्तान कहलाएँगे।”
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"09-10",
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"09-14",
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"09-17",
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"09-19"
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"09-19",
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"09-22"
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