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\v 27 \v 28 \v 29 27 और यशायाह इस्राएल के विषय में पुकारकर कहता है, “चाहे इस्राएल की सन्तानों की गिनती समुद्र के रेत के बराबर हो, तो भी उनमें से थोड़े ही बचेंगे। (यहे. 6:8) \v 28 क्योंकि प्रभु अपना वचन पृथ्वी पर पूरा करके, धार्मिकता से शीघ्र उसे सिद्ध करेगा।” \v 29 जैसा यशायाह ने पहले भी कहा था,
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\v 27 और यशायाह इस्राएल के विषय में पुकारकर कहता है, “चाहे इस्राएल की सन्तानों की गिनती समुद्र के रेत के बराबर हो, तो भी उनमें से थोड़े ही बचेंगे। (यहे. 6:8) \v 28 क्योंकि प्रभु अपना वचन पृथ्वी पर पूरा करके, धार्मिकता से शीघ्र उसे सिद्ध करेगा।” \v 29 जैसा यशायाह ने पहले भी कहा था,
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“यदि सेनाओं का प्रभु हमारे लिये कुछ वंश न छोड़ता,
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तो हम सदोम के समान हो जाते,
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और अमोरा के सरीखे ठहरते।” (यशा. 1:9)
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\v 30 तो हम क्या कहें? यह कि अन्यजातियों ने जो धार्मिकता की खोज नहीं करते थे, धार्मिकता प्राप्त की अर्थात् उस धार्मिकता को जो विश्वास से है; \v 31 परन्तु इस्राएली; जो धार्मिकता की व्यवस्था की खोज करते हुए उस व्यवस्था तक नहीं पहुँचे।
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"09-17",
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"09-19",
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"09-22",
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"09-25"
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"09-25",
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"09-27"
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