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9bb3009351
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5dbc6f2cc0
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@ -1,5 +1,4 @@
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\v 10 \v 11 10 फिर कहा है,
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“हे जाति-जाति के सब लोगों, उसकी प्रजा के साथ आनन्द करो।”
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11 और फिर,
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\v 10 फिर कहा है,
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“हे जाति-जाति के सब लोगों, उसकी प्रजा के साथ आनन्द करो।” \v 11 और फिर,
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“हे जाति-जाति के सब लोगों, प्रभु की स्तुति करो;
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और हे राज्य-राज्य के सब लोगों; उसकी स्तुति करो।” (भज. 117:1)
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@ -0,0 +1,4 @@
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\v 12 12 और फिर यशायाह कहता है,
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“यिशै की एक जड़* प्रगट होगी,
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और अन्यजातियों का अधिपति होने के लिये एक उठेगा,
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उस पर अन्यजातियाँ आशा रखेंगी।” (यशा. 11:11)
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@ -223,6 +223,7 @@
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"15-01",
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"15-03",
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"15-05",
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"15-08"
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"15-08",
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"15-10"
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}
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