Wed Nov 13 2024 13:06:43 GMT+0530 (India Standard Time)
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36ac893297
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\v 16 \v 17 16 अब तुम्हारी भलाई की निन्दा न होने पाए। \v 17 क्योंकि परमेश्वर का राज्य खाना-पीना नहीं; परन्तु धार्मिकता और मिलाप और वह आनन्द है जो पवित्र आत्मा से होता है।
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\v 16 अब तुम्हारी भलाई की निन्दा न होने पाए। \v 17 क्योंकि परमेश्वर का राज्य खाना-पीना नहीं; परन्तु धार्मिकता और मिलाप और वह आनन्द है जो पवित्र आत्मा से होता है।
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\v 18 \v 19 18 जो कोई इस रीति से मसीह की सेवा करता है, वह परमेश्वर को भाता है और मनुष्यों में ग्रहणयोग्य ठहरता है। \v 19 इसलिए हम उन बातों का प्रयत्न करें जिनसे मेल मिलाप और एक दूसरे का सुधार हो।
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"14-07",
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"14-10",
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"14-12",
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"14-14"
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"14-14",
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"14-16"
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