Tue Nov 12 2024 15:22:11 GMT+0530 (India Standard Time)
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39ccf297ea
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2ee0a5a5f6
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\v 17 \v 18 17 परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे अब मन से उस उपदेश के माननेवाले हो गए, जिसके साँचे में ढाले गए थे, 18 और पाप से छुड़ाए जाकर* धार्मिकता के दास हो गए।
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\v 17 परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे अब मन से उस उपदेश के माननेवाले हो गए, जिसके साँचे में ढाले गए थे, \v 18 और पाप से छुड़ाए जाकर* धार्मिकता के दास हो गए।
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\v 19 \v 20 \v 21 19 मैं तुम्हारी शारीरिक दुर्बलता के कारण मनुष्यों की रीति पर कहता हूँ। जैसे तुम ने अपने अंगों को अशुद्धता और कुकर्म के दास करके सौंपा था, वैसे ही अब अपने अंगों को पवित्रता के लिये धार्मिकता के दास करके सौंप दो। \v 20 जब तुम पाप के दास थे, तो धार्मिकता की ओर से स्वतंत्र थे। \v 21 तो जिन बातों से अब तुम लज्जित होते हो, उनसे उस समय तुम क्या फल पाते थे? क्योंकि उनका अन्त तो मृत्यु है।
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