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\v 6 उसने उनसे कहा, “यशायाह ने तुम कपटियों के विषय में बहुत ठीक भविष्यद्वाणी की; जैसा लिखा है:
‘ये लोग होंठों से तो मेरा आदर करते हैं,
पर उनका मन मुझसे दूर रहता है। (यशा. 29:13) \v 7 और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं,
क्योंकि मनुष्यों की आज्ञाओं को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं।’ (यशा. 29:13)