\v 18 क्या आँखें रखते हुए भी नहीं देखते, और कान रखते हुए भी नहीं सुनते? और तुम्हें स्मरण नहीं? \v 19 कि जब मैंने पाँच हजार लोगों के लिये पाँच रोटी तोड़ी थीं तो तुम ने टुकड़ों की कितनी टोकरियाँ भरकर उठाई?” उन्होंने उससे कहा, “बारह टोकरियाँ।”