diff --git a/11/15.txt b/11/15.txt index cfa34ac..0146273 100644 --- a/11/15.txt +++ b/11/15.txt @@ -1,2 +1 @@ -\v 15 \v 16 15 फिर वे यरूशलेम में आए, और वह मन्दिर में गया; और वहाँ जो लेन-देन कर रहे थे उन्हें बाहर निकालने लगा, और सर्राफों के मेज़ें और कबूतर के बेचनेवालों की चौकियाँ उलट दीं। -16 और मन्दिर में से होकर किसी को बर्तन लेकर आने-जाने न दिया। \ No newline at end of file +\v 15 फिर वे यरूशलेम में आए, और वह मन्दिर में गया; और वहाँ जो लेन-देन कर रहे थे उन्हें बाहर निकालने लगा, और सर्राफों के मेज़ें और कबूतर के बेचनेवालों की चौकियाँ उलट दीं। \v 16 और मन्दिर में से होकर किसी को बर्तन लेकर आने-जाने न दिया। \ No newline at end of file diff --git a/11/17.txt b/11/17.txt new file mode 100644 index 0000000..d2d25a6 --- /dev/null +++ b/11/17.txt @@ -0,0 +1 @@ +17 और उपदेश करके उनसे कहा, “क्या यह नहीं लिखा है, कि मेरा घर सब जातियों के लिये प्रार्थना का घर कहलाएगा? पर तुम ने इसे डाकुओं की खोह बना दी है।” (लूका 19:46, यिर्म. 7:11) 18 यह सुनकर प्रधान याजक और शास्त्री उसके नाश करने का अवसर ढूँढ़ने लगे; क्योंकि उससे डरते थे, इसलिए कि सब लोग उसके उपदेश से चकित होते थे। 19 और सांझ होते ही वे नगर से बाहर चले गए। \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 5032eb7..4eea216 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -224,6 +224,7 @@ "11-04", "11-07", "11-11", - "11-13" + "11-13", + "11-15" ] } \ No newline at end of file