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bf404af1da
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\v 66 \v 67 \v 68 66 जब पतरस नीचे आँगन में था, तो महायाजक की दासियों में से एक वहाँ आई। 67 और पतरस को आग तापते देखकर उस पर टकटकी लगाकर देखा और कहने लगी, “तू भी तो उस नासरी यीशु के साथ था।” \v 68 वह मुकर गया, और कहा, “मैं तो नहीं जानता और नहीं समझता कि तू क्या कह रही है”। फिर वह बाहर डेवढ़ी में गया; और मुर्गे ने बाँग दी।
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\v 66 जब पतरस नीचे आँगन में था, तो महायाजक की दासियों में से एक वहाँ आई। \v 67 और पतरस को आग तापते देखकर उस पर टकटकी लगाकर देखा और कहने लगी, “तू भी तो उस नासरी यीशु के साथ था।” \v 68 वह मुकर गया, और कहा, “मैं तो नहीं जानता और नहीं समझता कि तू क्या कह रही है”। फिर वह बाहर डेवढ़ी में गया; और मुर्गे ने बाँग दी।
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\v 69 \v 70 69 वह दासी उसे देखकर उनसे जो पास खड़े थे, फिर कहने लगी, कि “यह उनमें से एक है।” 70 परन्तु वह फिर मुकर गया। और थोड़ी देर बाद उन्होंने जो पास खड़े थे फिर पतरस से कहा, “निश्चय तू उनमें से एक है; क्योंकि तू गलीली भी है।”
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"14-55",
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"14-57",
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"14-60",
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"14-63"
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"14-66"
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