From ade63672e130aa692e4d463fff862cadd56b4716 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Vachaa Date: Tue, 19 Nov 2024 12:47:35 +0530 Subject: [PATCH] Tue Nov 19 2024 12:47:34 GMT+0530 (India Standard Time) --- 10/01.txt | 2 +- 10/05.txt | 1 + manifest.json | 4 +++- 3 files changed, 5 insertions(+), 2 deletions(-) create mode 100644 10/05.txt diff --git a/10/01.txt b/10/01.txt index e1be5a9..2a219c6 100644 --- a/10/01.txt +++ b/10/01.txt @@ -1 +1 @@ -\c 10 \v 1 फिर वह वहाँ से उठकर यहूदिया के सीमा-क्षेत्र और यरदन के पार आया, और भीड़ उसके पास फिर इकट्ठी हो गई, और वह अपनी रीति के अनुसार उन्हें फिर उपदेश देने लगा। \v 2 तब फरीसियों* ने उसके पास आकर उसकी परीक्षा करने को उससे पूछा, “क्या यह उचित है, कि पुरुष अपनी पत्‍नी को त्यागे?” \v 3 उसने उनको उत्तर दिया, “मूसा ने तुम्हें क्या आज्ञा दी है?” \v 4 उन्होंने कहा, “मूसा ने त्याग-पत्र लिखने और त्यागने की आज्ञा दी है।” (व्य. 24:1-3) \ No newline at end of file +\c 10 \v 1 फिर वह वहाँ से उठकर यहूदिया के सीमा-क्षेत्र और यरदन के पार आया, और भीड़ उसके पास फिर इकट्ठी हो गई, और वह अपनी रीति के अनुसार उन्हें फिर उपदेश देने लगा। \v 2 तब फरीसियों* ने उसके पास आकर उसकी परीक्षा करने को उससे पूछा, “क्या यह उचित है, कि पुरुष अपनी पत्‍नी को त्यागे?” \v 3 उसने उनको उत्तर दिया, “मूसा ने तुम्हें क्या आज्ञा दी है?” \v 4 उन्होंने कहा, “मूसा ने त्याग-पत्र लिखने और त्यागने की आज्ञा दी है।” (व्य. 24:1-3) \ No newline at end of file diff --git a/10/05.txt b/10/05.txt new file mode 100644 index 0000000..18c5036 --- /dev/null +++ b/10/05.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 5 यीशु ने उनसे कहा, “तुम्हारे मन की कठोरता के कारण उसने तुम्हारे लिये यह आज्ञा लिखी। \v 6 पर सृष्टि के आरम्भ से, परमेश्‍वर ने नर और नारी करके उनको बनाया है। (उत्प. 1:27, उत्प. 5:2) \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 8212b3d..34c5c79 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -199,6 +199,8 @@ "09-45", "09-47", "09-49", - "10-title" + "10-title", + "10-01", + "10-05" ] } \ No newline at end of file