From 990cec645938c450abc3509c05febe5a660bd513 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Vachaa Date: Tue, 19 Nov 2024 13:09:35 +0530 Subject: [PATCH] Tue Nov 19 2024 13:09:34 GMT+0530 (India Standard Time) --- 10/26.txt | 2 +- manifest.json | 3 ++- 2 files changed, 3 insertions(+), 2 deletions(-) diff --git a/10/26.txt b/10/26.txt index ca1e723..b87acce 100644 --- a/10/26.txt +++ b/10/26.txt @@ -1 +1 @@ -26 वे बहुत ही चकित होकर आपस में कहने लगे, “तो फिर किस का उद्धार हो सकता है?” 27 यीशु ने उनकी ओर देखकर कहा, “मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्‍वर से हो सकता है; क्योंकि परमेश्‍वर से सब कुछ हो सकता है।” (अय्यू. 42:2, लूका 1:37) 28 पतरस उससे कहने लगा, “देख, हम तो सब कुछ छोड़कर तेरे पीछे हो लिये हैं।” \ No newline at end of file +\v 26 वे बहुत ही चकित होकर आपस में कहने लगे, “तो फिर किस का उद्धार हो सकता है?” \v 27 यीशु ने उनकी ओर देखकर कहा, “मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्‍वर से हो सकता है; क्योंकि परमेश्‍वर से सब कुछ हो सकता है।” (अय्यू. 42:2, लूका 1:37) \v 28 पतरस उससे कहने लगा, “देख, हम तो सब कुछ छोड़कर तेरे पीछे हो लिये हैं।” \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index b18c99b..3ca2cb2 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -208,6 +208,7 @@ "10-15", "10-17", "10-20", - "10-23" + "10-23", + "10-26" ] } \ No newline at end of file