From 8e68ba4e74be0facd9f2a00471ea0f1e29fcbbd3 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Vachaa Date: Wed, 20 Nov 2024 13:13:36 +0530 Subject: [PATCH] Wed Nov 20 2024 13:13:36 GMT+0530 (India Standard Time) --- 15/31.txt | 2 +- 15/33.txt | 1 + manifest.json | 3 ++- 3 files changed, 4 insertions(+), 2 deletions(-) create mode 100644 15/33.txt diff --git a/15/31.txt b/15/31.txt index 88bdff2..8a1edac 100644 --- a/15/31.txt +++ b/15/31.txt @@ -1 +1 @@ -\v 31 \v 32 31 इसी तरह से प्रधान याजक भी, शास्त्रियों समेत, आपस में उपहास करके कहते थे; “इसने औरों को बचाया, पर अपने को नहीं बचा सकता। 32 इस्राएल का राजा, मसीह, अब क्रूस पर से उतर आए कि हम देखकर विश्वास करें।” और जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे, वे भी उसकी निन्दा करते थे। \ No newline at end of file +\v 31 इसी तरह से प्रधान याजक भी, शास्त्रियों समेत, आपस में उपहास करके कहते थे; “इसने औरों को बचाया, पर अपने को नहीं बचा सकता। \v 32 इस्राएल का राजा, मसीह, अब क्रूस पर से उतर आए कि हम देखकर विश्वास करें।” और जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे, वे भी उसकी निन्दा करते थे। \ No newline at end of file diff --git a/15/33.txt b/15/33.txt new file mode 100644 index 0000000..18f69e2 --- /dev/null +++ b/15/33.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 33 \v 34 \v 35 33 और दोपहर होने पर सारे देश में अंधियारा छा गया, और तीसरे पहर तक रहा। 34 तीसरे पहर यीशु ने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, “इलोई, इलोई, लमा शबक्तनी?” जिसका अर्थ है, “हे मेरे परमेश्‍वर, हे मेरे परमेश्‍वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?” 35 जो पास खड़े थे, उनमें से कितनों ने यह सुनकर कहा, “देखो, यह एलिय्याह को पुकारता है।” \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 0cec11e..f81e030 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -305,6 +305,7 @@ "15-19", "15-22", "15-25", - "15-29" + "15-29", + "15-31" ] } \ No newline at end of file