From 5301f5e96a4875035a7ef4095f44422989e52fff Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Vachaa Date: Thu, 14 Nov 2024 13:25:45 +0530 Subject: [PATCH] Thu Nov 14 2024 13:25:45 GMT+0530 (India Standard Time) --- 04/26.txt | 2 +- 04/30.txt | 1 + manifest.json | 3 ++- 3 files changed, 4 insertions(+), 2 deletions(-) create mode 100644 04/30.txt diff --git a/04/26.txt b/04/26.txt index 235fd18..3e1ce0a 100644 --- a/04/26.txt +++ b/04/26.txt @@ -1 +1 @@ -\v 26 \v 27 \v 28 \v 29 26 फिर उसने कहा, “परमेश्‍वर का राज्य ऐसा है, जैसे कोई मनुष्य भूमि पर बीज छींटे, 27 और रात को सोए, और दिन को जागे और वह बीज ऐसे उगें और बढ़े कि वह न जाने। 28 पृथ्वी आप से आप फल लाती है पहले अंकुर, तब बालें, और तब बालों में तैयार दाना। \v 29 परन्तु जब दाना पक जाता है, तब वह तुरन्त हँसिया लगाता है, क्योंकि कटनी आ पहुँची है।” (योए. 3:13) \ No newline at end of file +\v 26 फिर उसने कहा, “परमेश्‍वर का राज्य ऐसा है, जैसे कोई मनुष्य भूमि पर बीज छींटे, \v 27 और रात को सोए, और दिन को जागे और वह बीज ऐसे उगें और बढ़े कि वह न जाने। \v 28 पृथ्वी आप से आप फल लाती है पहले अंकुर, तब बालें, और तब बालों में तैयार दाना। \v 29 परन्तु जब दाना पक जाता है, तब वह तुरन्त हँसिया लगाता है, क्योंकि कटनी आ पहुँची है।” (योए. 3:13) \ No newline at end of file diff --git a/04/30.txt b/04/30.txt new file mode 100644 index 0000000..d8db776 --- /dev/null +++ b/04/30.txt @@ -0,0 +1 @@ +30 फिर उसने कहा, “हम परमेश्‍वर के राज्य की उपमा किससे दें, और किस दृष्टान्त से उसका वर्णन करें? 31 वह राई के दाने के समान हैं; कि जब भूमि में बोया जाता है तो भूमि के सब बीजों से छोटा होता है। 32 परन्तु जब बोया गया, तो उगकर सब साग-पात से बड़ा हो जाता है, और उसकी ऐसी बड़ी डालियाँ निकलती हैं, कि आकाश के पक्षी उसकी छाया में बसेरा कर सकते हैं।” \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 99dd861..b68e774 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -96,6 +96,7 @@ "04-16", "04-18", "04-21", - "04-24" + "04-24", + "04-26" ] } \ No newline at end of file