diff --git a/11/17.txt b/11/17.txt index d2d25a6..f69a15b 100644 --- a/11/17.txt +++ b/11/17.txt @@ -1 +1 @@ -17 और उपदेश करके उनसे कहा, “क्या यह नहीं लिखा है, कि मेरा घर सब जातियों के लिये प्रार्थना का घर कहलाएगा? पर तुम ने इसे डाकुओं की खोह बना दी है।” (लूका 19:46, यिर्म. 7:11) 18 यह सुनकर प्रधान याजक और शास्त्री उसके नाश करने का अवसर ढूँढ़ने लगे; क्योंकि उससे डरते थे, इसलिए कि सब लोग उसके उपदेश से चकित होते थे। 19 और सांझ होते ही वे नगर से बाहर चले गए। \ No newline at end of file +\v 17 और उपदेश करके उनसे कहा, “क्या यह नहीं लिखा है, कि मेरा घर सब जातियों के लिये प्रार्थना का घर कहलाएगा? पर तुम ने इसे डाकुओं की खोह बना दी है।” (लूका 19:46, यिर्म. 7:11) \v 18 यह सुनकर प्रधान याजक और शास्त्री उसके नाश करने का अवसर ढूँढ़ने लगे; क्योंकि उससे डरते थे, इसलिए कि सब लोग उसके उपदेश से चकित होते थे। \v 19 और सांझ होते ही वे नगर से बाहर चले गए। \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 4eea216..f1c9be0 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -225,6 +225,7 @@ "11-07", "11-11", "11-13", - "11-15" + "11-15", + "11-17" ] } \ No newline at end of file