From 0c133a3c563b16457caa8a1b1e3e02f422b24494 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Vachaa Date: Tue, 19 Nov 2024 15:10:42 +0530 Subject: [PATCH] Tue Nov 19 2024 15:10:42 GMT+0530 (India Standard Time) --- 12/13.txt | 2 +- 1 file changed, 1 insertion(+), 1 deletion(-) diff --git a/12/13.txt b/12/13.txt index efd55fd..43faca2 100644 --- a/12/13.txt +++ b/12/13.txt @@ -1 +1 @@ -13 तब उन्होंने उसे बातों में फँसाने के लिये कई एक फरीसियों और हेरोदियों को उसके पास भेजा। 14 और उन्होंने आकर उससे कहा, “हे गुरु, हम जानते हैं, कि तू सच्चा है, और किसी की परवाह नहीं करता; क्योंकि तू मनुष्यों का मुँह देखकर बातें नहीं करता, परन्तु परमेश्‍वर का मार्ग सच्चाई से बताता है। तो क्या कैसर को कर देना उचित है, कि नहीं? 15 हम दें, या न दें?” उसने उनका कपट जानकर उनसे कहा, “मुझे क्यों परखते हो? एक दीनार मेरे पास लाओ, कि मैं देखूँ।” \ No newline at end of file +\v 13 तब उन्होंने उसे बातों में फँसाने के लिये कई फरीसियों और हेरोदियों को उसके पास भेजा। \v 14 और उन्होंने आकर उससे कहा, “हे गुरु, हम जानते हैं, कि तू सच्चा है, और किसी की परवाह नहीं करता; क्योंकि तू मनुष्यों का मुँह देखकर बातें नहीं करता, परन्तु परमेश्‍वर का मार्ग सच्चाई से बताता है। तो क्या कैसर को कर देना उचित है, कि नहीं? \v 15 हम दें, या न दें?” उसने उनका कपट जानकर उनसे कहा, “मुझे क्यों परखते हो? एक दीनार मेरे पास लाओ, कि मैं देखूँ।” \ No newline at end of file