hi_mrk_text_reg/08/24.txt

1 line
712 B
Plaintext
Raw Permalink Normal View History

\v 24 उसने आँख उठाकर कहा, “मैं मनुष्यों को देखता हूँ; क्योंकि वे मुझे चलते हुए दिखाई देते हैं, जैसे पेड़।” \v 25 तब उसने फिर दोबारा उसकी आँखों पर हाथ रखे, और उसने ध्यान से देखा। और चंगा हो गया, और सब कुछ साफ-साफ देखने लगा। \v 26 और उसने उससे यह कहकर घर भेजा, “इस गाँव के भीतर पाँव भी न रखना।”