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\v 29 क्योंकि वे दिन आते हैं, जिनमें लोग कहेंगे, ‘धन्य हैं वे जो बाँझ हैं, और वे गर्भ जो न जने और वे स्तन जिन्होंने दूध न पिलाया।’ \v 30 उस समय
‘वे पर्वतों से कहने लगेंगे, कि हम पर गिरो,
और पहाड़ों से कि हमें ढाँप लो।’ \v 31 क्योंकि जब वे हरे पेड़ के साथ ऐसा करते हैं, तो सूखे के साथ क्या कुछ न किया जाएगा?”