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\v 24 “जब अशुद्ध आत्मा मनुष्य में से निकल जाती है तो सूखी जगहों में विश्राम ढूँढ़ती फिरती है, और जब नहीं पाती तो कहती है कि ‘मैं अपने उसी घर में जहाँ से निकली थी लौट जाऊँगी’। \v 25 और आकर उसे झाड़ा-बुहारा और सजा-सजाया पाती है। \v 26 तब वह आकर अपने से और बुरी सात आत्माओं को अपने साथ ले आती है, और वे उसमें समाकर वास करती हैं, और उस मनुष्य की पिछली दशा पहले से भी बुरी हो जाती है।”