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\v 14 जो झाड़ियों में गिरा, यह वे हैं, जो सुनते हैं, पर आगे चलकर चिन्ता और धन और जीवन के सुख-विलास में फँस जाते हैं, और उनका फल नहीं पकता। \v 15 पर अच्छी भूमि में के वे हैं, जो वचन सुनकर उसे अपने भले और उत्तम मन में सम्भाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं। |