hi_luk_text_ulb/12/22.txt

2 lines
551 B
Plaintext

\s किसी बात की चिन्ता ना करो
\p \v 22 फिर उसने अपने चेलों से कहा, “इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, अपने जीवन की चिन्ता न करो, कि हम क्या खाएँगे; न अपने शरीर की, कि क्या पहनेंगे। \v 23 क्योंकि भोजन से प्राण, और वस्त्र से शरीर बढ़कर है।