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\v 5 जिस किसी घर में जाओ, पहले कहो, ‘इस घर में शान्ति हो।’ \v 6 यदि वहाँ कोई शान्ति के योग्य होगा; तो तुम्हारी शान्ति उस पर ठहरेगी, नहीं तो तुम्हारे पास लौट आएगी। \v 7 उसी घर में रहो, और जो कुछ उनसे मिले, वही खाओ-पीओ, क्योंकि मजदूर को अपनी मजदूरी मिलनी चाहिए; घर-घर न फिरना। |