\v 33 वे उसी घड़ी उठकर यरूशलेम को लौट गए, और उन ग्यारहों और उनके साथियों को इकट्ठे पाया। \v 34 वे कहते थे, “प्रभु सचमुच जी उठा है, और शमौन को दिखाई दिया है।” \v 35 तब उन्होंने मार्ग की बातें उन्हें बता दीं और यह भी कि उन्होंने उसे रोटी तोड़ते समय कैसे पहचाना।