\v 43 तब स्वर्ग से एक दूत उसको दिखाई दिया जो उसे सामर्थ्य देता था*। \v 44 और वह अत्यन्त संकट में व्याकुल होकर और भी हार्दिक वेदना से प्रार्थना करने लगा; और उसका पसीना मानो लहू की बड़ी-बड़ी बूँदों के समान भूमि पर गिर रहा था।