\v 33 क्योंकि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला न रोटी खाता आया, न दाखरस पीता आया, और तुम कहते हो, उसमें दुष्टात्मा है। \v 34 मनुष्य का पुत्र खाता-पीता आया है; और तुम कहते हो, ‘देखो, पेटू और पियक्कड़ मनुष्य, चुंगी लेनेवालों का और पापियों का मित्र।’ \v 35 पर बुद्धि अपनी सब सन्तानों से ही सच्चा ठहराया गया है।” शमौन फरीसी के घर पापिन स्त्री को क्षमादान