\s क्रूस पर मन फिराने वाला कुकर्मी \p \v 39 जो कुकर्मी लटकाए गए थे, उनमें से एक ने उसकी निन्दा करके कहा, “क्या तू मसीह नहीं? तो फिर अपने आप को और हमें बचा!” \v 40 इस पर दूसरे ने उसे डाँटकर कहा, “क्या तू परमेश्‍वर से भी नहीं डरता? तू भी तो वही दण्ड पा रहा है, \v 41 और हम तो न्यायानुसार दण्ड पा रहे हैं, क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं; पर इसने कोई अनुचित काम नहीं किया।”