From f67d50258afb7ede62a44ca6beca934802e1f913 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Vachaa Date: Sat, 23 Nov 2024 08:15:33 +0530 Subject: [PATCH] Sat Nov 23 2024 08:15:32 GMT+0530 (India Standard Time) --- 12/57.txt | 1 + 13/01.txt | 1 + 13/04.txt | 1 + 13/06.txt | 1 + 13/08.txt | 1 + 13/10.txt | 1 + 13/12.txt | 1 + 13/15.txt | 1 + 13/title.txt | 1 + manifest.json | 11 ++++++++++- 10 files changed, 19 insertions(+), 1 deletion(-) create mode 100644 12/57.txt create mode 100644 13/01.txt create mode 100644 13/04.txt create mode 100644 13/06.txt create mode 100644 13/08.txt create mode 100644 13/10.txt create mode 100644 13/12.txt create mode 100644 13/15.txt create mode 100644 13/title.txt diff --git a/12/57.txt b/12/57.txt new file mode 100644 index 0000000..fe0d962 --- /dev/null +++ b/12/57.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 57 “तुम आप ही निर्णय क्यों नहीं कर लेते, कि उचित क्या है? \v 58 जब तू अपने विरोधी के साथ न्यायाधीश के पास जा रहा है, तो मार्ग ही में उससे छूटने का यत्न कर ले ऐसा न हो, कि वह तुझे न्यायी के पास खींच ले जाए, और न्यायी तुझे सिपाही को सौंपे और सिपाही तुझे बन्दीगृह में डाल दे। \v 59 मैं तुम से कहता हूँ, कि जब तक तू पाई-पाई न चुका देगा तब तक वहाँ से छूटने न पाएगा।” \ No newline at end of file diff --git a/13/01.txt b/13/01.txt new file mode 100644 index 0000000..d2ba704 --- /dev/null +++ b/13/01.txt @@ -0,0 +1 @@ +\c 13 \v 1 उस समय कुछ लोग आ पहुँचे, और उससे उन गलीलियों की चर्चा करने लगे, जिनका लहू पिलातुस ने उन ही के बलिदानों के साथ मिलाया था। \v 2 यह सुनकर यीशु ने उनको उत्तर में यह कहा, “क्या तुम समझते हो, कि ये गलीली बाकी गलीलियों से पापी थे कि उन पर ऐसी विपत्ति पड़ी?” \v 3 मैं तुम से कहता हूँ, कि नहीं; परन्तु यदि तुम मन न फिराओगे* तो तुम सब भी इसी रीति से नाश होंगे। \ No newline at end of file diff --git a/13/04.txt b/13/04.txt new file mode 100644 index 0000000..7c38c54 --- /dev/null +++ b/13/04.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 4 या क्या तुम समझते हो, कि वे अठारह जन जिन पर शीलोह का गुम्मट गिरा, और वे दबकर मर गए: यरूशलेम के और सब रहनेवालों से अधिक अपराधी थे? \v 5 मैं तुम से कहता हूँ, कि नहीं; परन्तु यदि तुम मन न फिराओगे तो तुम भी सब इसी रीति से नाश होंगे।” \ No newline at end of file diff --git a/13/06.txt b/13/06.txt new file mode 100644 index 0000000..d540710 --- /dev/null +++ b/13/06.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 6 फिर उसने यह दृष्टान्त भी कहा, “किसी की अंगूर की बारी* में एक अंजीर का पेड़ लगा हुआ था : वह उसमें फल ढूँढ़ने आया, परन्तु न पाया। (मत्ती 21:19-20, मर. 11:12-14) \v 7 तब उसने बारी के रखवाले से कहा, ‘देख तीन वर्ष से मैं इस अंजीर के पेड़ में फल ढूँढ़ने आता हूँ, परन्तु नहीं पाता, इसे काट डाल कि यह भूमि को भी क्यों रोके रहे?’ \ No newline at end of file diff --git a/13/08.txt b/13/08.txt new file mode 100644 index 0000000..db06198 --- /dev/null +++ b/13/08.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 8 उसने उसको उत्तर दिया, कि हे स्वामी, इसे इस वर्ष तो और रहने दे; कि मैं इसके चारों ओर खोदकर खाद डालूँ। \v 9 अतः आगे को फले तो भला, नहीं तो उसे काट डालना।” \ No newline at end of file diff --git a/13/10.txt b/13/10.txt new file mode 100644 index 0000000..abc2f2c --- /dev/null +++ b/13/10.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 10 सब्त के दिन वह एक आराधनालय में उपदेश दे रहा था। \v 11 वहाँ एक स्त्री थी, जिसे अठारह वर्ष से एक दुर्बल करनेवाली दुष्टात्मा लगी थी, और वह कुबड़ी हो गई थी, और किसी रीति से सीधी नहीं हो सकती थी। \ No newline at end of file diff --git a/13/12.txt b/13/12.txt new file mode 100644 index 0000000..d48e8cf --- /dev/null +++ b/13/12.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 12 यीशु ने उसे देखकर बुलाया, और कहा, “हे नारी, तू अपनी दुर्बलता से छूट गई।” \v 13 तब उसने उस पर हाथ रखे, और वह तुरन्त सीधी हो गई, और परमेश्‍वर की बड़ाई करने लगी। \v 14 इसलिए कि यीशु ने सब्त के दिन उसे अच्छा किया था*, आराधनालय का सरदार रिसियाकर लोगों से कहने लगा, “छः दिन हैं, जिनमें काम करना चाहिए, उन ही दिनों में आकर चंगे हो; परन्तु सब्त के दिन में नहीं।” (निर्ग. 20:9-10, व्य. 5:13-14) \ No newline at end of file diff --git a/13/15.txt b/13/15.txt new file mode 100644 index 0000000..fcbf58a --- /dev/null +++ b/13/15.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 15 यह सुन कर प्रभु ने उत्तर देकर कहा, “हे कपटियों, क्या सब्त के दिन तुम में से हर एक अपने बैल या गदहे को थान से खोलकर पानी पिलाने नहीं ले जाता? \v 16 “और क्या उचित न था, कि यह स्त्री जो अब्राहम की बेटी है, जिसे शैतान ने अठारह वर्ष से बाँध रखा था, सब्त के दिन इस बन्धन से छुड़ाई जाती?” \ No newline at end of file diff --git a/13/title.txt b/13/title.txt new file mode 100644 index 0000000..8a3bd37 --- /dev/null +++ b/13/title.txt @@ -0,0 +1 @@ +Chapter 13 \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 269b64b..ba883ba 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -311,6 +311,15 @@ "12-47", "12-49", "12-51", - "12-54" + "12-54", + "12-57", + "13-title", + "13-01", + "13-04", + "13-06", + "13-08", + "13-10", + "13-12", + "13-15" ] } \ No newline at end of file