Tue Dec 17 2024 17:09:15 GMT+0530 (India Standard Time)

This commit is contained in:
Vachaa 2024-12-17 17:09:16 +05:30
parent 7839ddc0e0
commit e1b270d424
7 changed files with 10 additions and 17 deletions

View File

@ -1,2 +1 @@
\v 22 और जब मूसा की व्यवस्था के अनुसार मरियम के शुद्ध होने के दिन पूरे हुए तो यूसुफ और मरियम उसे यरूशलेम में ले गए, कि प्रभु के सामने लाएँ। (लैव्य. 12:6) \v 23 जैसा कि प्रभु की व्यवस्था में लिखा है: “हर एक पहलौठा प्रभु के लिये पवित्र ठहरेगा।” (निर्ग. 13:2,12) \v 24 और प्रभु की व्यवस्था के वचन के अनुसार, “पेंडुकी का एक जोड़ा, या कबूतर के दो बच्चे लाकर बलिदान करें।” (लैव्य. 12:8) \v 22 और जब मूसा की व्यवस्था के अनुसार मरियम के शुद्ध होने के दिन पूरे हुए तो यूसुफ और मरियम उसे यरूशलेम में ले गए, कि प्रभु के सामने लाएँ। (लैव्य. 12:6) \v 23 जैसा कि प्रभु की व्यवस्था में लिखा है: “हर एक पहलौठा प्रभु के लिये पवित्र ठहरेगा।” (निर्ग. 13:2,12) \v 24 और प्रभु की व्यवस्था के वचन के अनुसार, “पेंडुकी का एक जोड़ा, या कबूतर के दो बच्चे लाकर बलिदान करें।” (लैव्य. 12:8)
शमौन की भविष्यद्वाणी

View File

@ -1 +1,2 @@
\v 25 उस समय यरूशलेम में शमौन नामक एक मनुष्य था, और वह मनुष्य धर्मी और भक्त था; और इस्राएल की शान्ति की प्रतीक्षा कर रहा था, और पवित्र आत्मा उस पर था। \v 26 और पवित्र आत्मा के द्वारा उसे प्रकट हुआ, कि जब तक वह प्रभु के मसीह को देख न लेगा, तब-तक मृत्यु को न देखेगा। \s शमौन की भविष्यद्वाणी
\p \v 25 उस समय यरूशलेम में शमौन नामक एक मनुष्य था, और वह मनुष्य धर्मी और भक्त था; और इस्राएल की शान्ति की प्रतीक्षा कर रहा था, और पवित्र आत्मा उस पर था। \v 26 और पवित्र आत्मा के द्वारा उसे प्रकट हुआ, कि जब तक वह प्रभु के मसीह को देख न लेगा, तब-तक मृत्यु को न देखेगा।

View File

@ -1,2 +1 @@
\v 33 और उसका पिता और उसकी माता इन बातों से जो उसके विषय में कही जाती थीं, आश्चर्य करते थे। \v 34 तब शमौन ने उनको आशीष देकर, उसकी माता मरियम से कहा, “देख, वह तो इस्राएल में बहुतों के गिरने, और उठने के लिये, और एक ऐसा चिन्ह होने के लिये ठहराया गया है, जिसके विरोध में बातें की जाएँगी (यशा. 8:14-15) \v 35 (वरन् तेरा प्राण भी तलवार से आर-पार छिद जाएगा) इससे बहुत हृदयों के विचार प्रगट होंगे।” \v 33 और उसका पिता और उसकी माता इन बातों से जो उसके विषय में कही जाती थीं, आश्चर्य करते थे। \v 34 तब शमौन ने उनको आशीष देकर, उसकी माता मरियम से कहा, “देख, वह तो इस्राएल में बहुतों के गिरने, और उठने के लिये, और एक ऐसा चिन्ह होने के लिये ठहराया गया है, जिसके विरोध में बातें की जाएँगी (यशा. 8:14-15) \v 35 (वरन् तेरा प्राण भी तलवार से आर-पार छिद जाएगा) इससे बहुत हृदयों के विचार प्रगट होंगे।”
हन्नाह द्वारा गवाही

View File

@ -1,2 +1,2 @@
\v 36 और अशेर के गोत्र में से हन्नाह नामक फनूएल की बेटी एक भविष्यद्वक्तिन* थी: वह बहुत बूढ़ी थी, और विवाह होने के बाद सात वर्ष ही अपने पति के साथ रह पाई थी। \v 37 वह चौरासी वर्ष से विधवा थी: और मन्दिर को नहीं छोड़ती थी पर उपवास और प्रार्थना कर करके रात-दिन उपासना किया करती थी। \v 38 और वह उस घड़ी वहाँ आकर परमेश्‍वर का धन्यवाद करने लगी, और उन सभी से, जो यरूशलेम के छुटकारे की प्रतीक्षा कर रहे थे, उसके विषय में बातें करने लगी। (यशा. 52:9) \s हन्नाह द्वारा गवाही
यूसुफ और मरियम का घर लौटना \p \v 36 और अशेर के गोत्र में से हन्नाह नामक फनूएल की बेटी एक भविष्यद्वक्तिन* थी: वह बहुत बूढ़ी थी, और विवाह होने के बाद सात वर्ष ही अपने पति के साथ रह पाई थी। \v 37 वह चौरासी वर्ष से विधवा थी: और मन्दिर को नहीं छोड़ती थी पर उपवास और प्रार्थना कर करके रात-दिन उपासना किया करती थी। \v 38 और वह उस घड़ी वहाँ आकर परमेश्‍वर का धन्यवाद करने लगी, और उन सभी से, जो यरूशलेम के छुटकारे की प्रतीक्षा कर रहे थे, उसके विषय में बातें करने लगी। (यशा. 52:9)

View File

@ -1,2 +1,2 @@
\v 39 और जब वे प्रभु की व्यवस्था के अनुसार सब कुछ निपटा चुके तो गलील में अपने नगर नासरत को फिर चले गए। \v 40 और बालक बढ़ता, और बलवन्त होता, और बुद्धि से परिपूर्ण होता गया; और परमेश्‍वर का अनुग्रह उस पर था। \s यूसुफ और मरियम का घर लौटना
बालक यीशु मन्दिर में \p \v 39 और जब वे प्रभु की व्यवस्था के अनुसार सब कुछ निपटा चुके तो गलील में अपने नगर नासरत को फिर चले गए। \v 40 और बालक बढ़ता, और बलवन्त होता, और बुद्धि से परिपूर्ण होता गया; और परमेश्‍वर का अनुग्रह उस पर था।

View File

@ -1 +1,2 @@
\v 41 उसके माता-पिता प्रति वर्ष फसह के पर्व में यरूशलेम को जाया करते थे। (निर्ग. 12:24-27, व्य. 16:1-8) \v 42 जब वह बारह वर्ष का हुआ, तो वे पर्व की रीति के अनुसार यरूशलेम को गए। \v 43 और जब वे उन दिनों को पूरा करके लौटने लगे, तो वह बालक यीशु यरूशलेम में रह गया; और यह उसके माता-पिता नहीं जानते थे। \v 44 वे यह समझकर, कि वह और यात्रियों के साथ होगा, एक दिन का पड़ाव निकल गए: और उसे अपने कुटुम्बियों और जान-पहचान वालों में ढूँढ़ने लगे। \s बालक यीशु मन्दिर में
\p \v 41 उसके माता-पिता प्रति वर्ष फसह के पर्व में यरूशलेम को जाया करते थे। (निर्ग. 12:24-27, व्य. 16:1-8) \v 42 जब वह बारह वर्ष का हुआ, तो वे पर्व की रीति के अनुसार यरूशलेम को गए। \v 43 और जब वे उन दिनों को पूरा करके लौटने लगे, तो वह बालक यीशु यरूशलेम में रह गया; और यह उसके माता-पिता नहीं जानते थे। \v 44 वे यह समझकर, कि वह और यात्रियों के साथ होगा, एक दिन का पड़ाव निकल गए: और उसे अपने कुटुम्बियों और जान-पहचान वालों में ढूँढ़ने लगे।

View File

@ -61,13 +61,6 @@
"02-01", "02-01",
"02-04", "02-04",
"02-10", "02-10",
"02-25",
"02-27",
"02-30",
"02-33",
"02-36",
"02-39",
"02-41",
"02-45", "02-45",
"02-48", "02-48",
"02-51", "02-51",