diff --git a/21/27.txt b/21/27.txt index b4795e6..b27ba5e 100644 --- a/21/27.txt +++ b/21/27.txt @@ -1,2 +1 @@ -\v 27 तब वे मनुष्य के पुत्र को सामर्थ्य और बड़ी महिमा के साथ बादल पर आते देखेंगे। (प्रका. 1:7, दानि. 7:13) -\v 28 जब ये बातें होने लगें, तो सीधे होकर अपने सिर ऊपर उठाना; क्योंकि तुम्हारा छुटकारा निकट होगा।” +\v 27 तब वे मनुष्य के पुत्र को सामर्थ्य और बड़ी महिमा के साथ बादल पर आते देखेंगे। (प्रका. 1:7, दानि. 7:13) \v 28 जब ये बातें होने लगें, तो सीधे होकर अपने सिर ऊपर उठाना; क्योंकि तुम्हारा छुटकारा निकट होगा।” \ No newline at end of file diff --git a/21/29.txt b/21/29.txt new file mode 100644 index 0000000..abb1cfa --- /dev/null +++ b/21/29.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 29 उसने उनसे एक दृष्टान्त भी कहा, “अंजीर के पेड़ और सब पेड़ों को देखो। \v 30 ज्यों ही उनकी कोंपलें निकलती हैं, तो तुम देखकर आप ही जान लेते हो, कि ग्रीष्मकाल निकट है। \v 31 इसी रीति से जब तुम ये बातें होते देखो, तब जान लो कि परमेश्‍वर का राज्य निकट है। \ No newline at end of file diff --git a/21/32.txt b/21/32.txt new file mode 100644 index 0000000..900de5c --- /dev/null +++ b/21/32.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 32 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जब तक ये सब बातें न हो लें, तब तक इस पीढ़ी का कदापि अन्त न होगा। \v 33 आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी। \ No newline at end of file diff --git a/21/34.txt b/21/34.txt new file mode 100644 index 0000000..14cdb39 --- /dev/null +++ b/21/34.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 34 “इसलिए सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन खुमार और मतवालेपन, और इस जीवन की चिन्ताओं से सुस्त हो जाएँ, और वह दिन तुम पर फन्दे के समान अचानक आ पड़े। \v 35 क्योंकि वह सारी पृथ्वी के सब रहनेवालों पर इसी प्रकार आ पड़ेगा। (प्रका. 3:3, लूका 12:40) \ No newline at end of file diff --git a/21/36.txt b/21/36.txt new file mode 100644 index 0000000..fe1bf7a --- /dev/null +++ b/21/36.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 36 इसलिए जागते रहो और हर समय प्रार्थना करते रहो कि तुम इन सब आनेवाली घटनाओं से बचने, और मनुष्य के पुत्र के सामने खड़े* होने के योग्य बनो।” \ No newline at end of file diff --git a/21/37.txt b/21/37.txt new file mode 100644 index 0000000..c6b5c97 --- /dev/null +++ b/21/37.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 37 और वह दिन को मन्दिर में उपदेश करता था; और रात को बाहर जाकर जैतून नाम पहाड़ पर रहा करता था। \v 38 और भोर को तड़के सब लोग उसकी सुनने के लिये मन्दिर में उसके पास आया करते थे। \ No newline at end of file diff --git a/22/01.txt b/22/01.txt new file mode 100644 index 0000000..63c7550 --- /dev/null +++ b/22/01.txt @@ -0,0 +1 @@ +\c 22 \v 1 अख़मीरी रोटी का पर्व जो फसह कहलाता है, निकट था। \v 2 और प्रधान याजक और शास्त्री इस बात की खोज में थे कि उसको कैसे मार डालें, पर वे लोगों से डरते थे। \ No newline at end of file diff --git a/22/03.txt b/22/03.txt new file mode 100644 index 0000000..37ab5b2 --- /dev/null +++ b/22/03.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 3 और शैतान यहूदा में समाया*, जो इस्करियोती कहलाता और बारह चेलों में गिना जाता था। \v 4 उसने जाकर प्रधान याजकों और पहरुओं के सरदारों के साथ बातचीत की, कि उसको किस प्रकार उनके हाथ पकड़वाए। \ No newline at end of file diff --git a/22/05.txt b/22/05.txt new file mode 100644 index 0000000..0e2110f --- /dev/null +++ b/22/05.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +\v 5 वे आनन्दित हुए, और उसे रुपये देने का वचन दिया। +\v 6 उसने मान लिया, और अवसर ढूँढ़ने लगा, कि बिना उपद्रव के उसे उनके हाथ पकड़वा दे। diff --git a/22/title.txt b/22/title.txt new file mode 100644 index 0000000..66cb5e0 --- /dev/null +++ b/22/title.txt @@ -0,0 +1 @@ +Chapter 22 \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index d5faf3e..727ae7e 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -462,6 +462,15 @@ "21-16", "21-20", "21-23", - "21-25" + "21-25", + "21-27", + "21-29", + "21-32", + "21-34", + "21-36", + "21-37", + "22-title", + "22-01", + "22-03" ] } \ No newline at end of file