From a4aac22e94af8e4ed88b9e50e9123f589b01f352 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Vachaa Date: Tue, 17 Dec 2024 18:29:47 +0530 Subject: [PATCH] Tue Dec 17 2024 18:29:47 GMT+0530 (India Standard Time) --- 15/08.txt | 3 ++- 15/17.txt | 3 +-- 15/20.txt | 3 ++- 15/22.txt | 3 +-- 15/25.txt | 3 ++- manifest.json | 5 ----- 6 files changed, 8 insertions(+), 12 deletions(-) diff --git a/15/08.txt b/15/08.txt index 958924d..6f54e22 100644 --- a/15/08.txt +++ b/15/08.txt @@ -1,2 +1,3 @@ -\v 8 “या कौन ऐसी स्त्री होगी, जिसके पास दस चाँदी के सिक्के हों, और उनमें से एक खो जाए; तो वह दिया जलाकर और घर झाड़-बुहारकर जब तक मिल न जाए, जी लगाकर खोजती न रहे? \v 9 और जब मिल जाता है, तो वह अपने सखियों और पड़ोसिनियों को इकट्ठी करके कहती है, कि ‘मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरा खोया हुआ सिक्का मिल गया है।’ \v 10 मैं तुम से कहता हूँ; कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में परमेश्‍वर के स्वर्गदूतों के सामने आनन्द होता है।” +\s खोए हुए सिक्के का दृष्टान्त +\p \v 8 “या कौन ऐसी स्त्री होगी, जिसके पास दस चाँदी के सिक्के हों, और उनमें से एक खो जाए; तो वह दिया जलाकर और घर झाड़-बुहारकर जब तक मिल न जाए, जी लगाकर खोजती न रहे? \v 9 और जब मिल जाता है, तो वह अपने सखियों और पड़ोसिनियों को इकट्ठी करके कहती है, कि ‘मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरा खोया हुआ सिक्का मिल गया है।’ \v 10 मैं तुम से कहता हूँ; कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में परमेश्‍वर के स्वर्गदूतों के सामने आनन्द होता है।” उड़ाऊ पुत्र का दृष्टान्त \ No newline at end of file diff --git a/15/17.txt b/15/17.txt index 3b50a00..7dae2de 100644 --- a/15/17.txt +++ b/15/17.txt @@ -1,2 +1 @@ -\v 17 जब वह अपने आपे में आया, तब कहने लगा, ‘मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ। \v 18 मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊँगा और उससे कहूँगा कि पिता जी मैंने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है। (भज. 51:4) \v 19 अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊँ, मुझे अपने एक मजदूर के समान रख ले।’ -उड़ाऊ पुत्र का लौटना \ No newline at end of file +\v 17 जब वह अपने आपे में आया, तब कहने लगा, ‘मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ। \v 18 मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊँगा और उससे कहूँगा कि पिता जी मैंने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है। (भज. 51:4) \v 19 अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊँ, मुझे अपने एक मजदूर के समान रख ले।’ \ No newline at end of file diff --git a/15/20.txt b/15/20.txt index 688ac00..62e2edc 100644 --- a/15/20.txt +++ b/15/20.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 20 “तब वह उठकर, अपने पिता के पास चला | वह अभी दूर ही था, कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा। \v 21 पुत्र ने उससे कहा, ‘पिता जी, मैंने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है; और अब इस योग्य नहीं रहा, कि तेरा पुत्र कहलाऊँ।’ \ No newline at end of file +\s उड़ाऊ पुत्र का लौटना +\p \v 20 “तब वह उठकर, अपने पिता के पास चला | वह अभी दूर ही था, कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा। \v 21 पुत्र ने उससे कहा, ‘पिता जी, मैंने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है; और अब इस योग्य नहीं रहा, कि तेरा पुत्र कहलाऊँ।’ \ No newline at end of file diff --git a/15/22.txt b/15/22.txt index 906d575..f5f47f0 100644 --- a/15/22.txt +++ b/15/22.txt @@ -1,2 +1 @@ -\v 22 परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा, ‘झट अच्छे से अच्छा वस्त्र निकालकर उसे पहनाओ, और उसके हाथ में अँगूठी, और पाँवों में जूतियाँ पहनाओ, \v 23 और बड़ा भोज तैयार करो ताकि हम खाएँ और आनन्द मनाए। \v 24 क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है: खो गया था*, अब मिल गया है।’ और वे आनन्द करने लगे। -बड़े पुत्र की शिकायत \ No newline at end of file +\v 22 परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा, ‘झट अच्छे से अच्छा वस्त्र निकालकर उसे पहनाओ, और उसके हाथ में अँगूठी, और पाँवों में जूतियाँ पहनाओ, \v 23 और बड़ा भोज तैयार करो ताकि हम खाएँ और आनन्द मनाए। \v 24 क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है: खो गया था*, अब मिल गया है।’ और वे आनन्द करने लगे। \ No newline at end of file diff --git a/15/25.txt b/15/25.txt index f51699c..12f9c9c 100644 --- a/15/25.txt +++ b/15/25.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 25 “परन्तु उसका जेठा पुत्र खेत में था। और जब वह आते हुए घर के निकट पहुँचा, तो उसने गाने-बजाने और नाचने का शब्द सुना। \v 26 और उसने एक दास को बुलाकर पूछा, ‘यह क्या हो रहा है?’ \v 27 “उसने उससे कहा, ‘तेरा भाई आया है, और तेरे पिता ने बड़ा भोज तैयार कराया है, क्योंकि उसे भला चंगा पाया है।’ \ No newline at end of file +\s बड़े पुत्र की शिकायत +\p \v 25 “परन्तु उसका जेठा पुत्र खेत में था। और जब वह आते हुए घर के निकट पहुँचा, तो उसने गाने-बजाने और नाचने का शब्द सुना। \v 26 और उसने एक दास को बुलाकर पूछा, ‘यह क्या हो रहा है?’ \v 27 “उसने उससे कहा, ‘तेरा भाई आया है, और तेरे पिता ने बड़ा भोज तैयार कराया है, क्योंकि उसे भला चंगा पाया है।’ \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 5d1013c..c774b8e 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -302,14 +302,9 @@ "15-title", "15-01", "15-03", - "15-08", "15-11", "15-13", "15-15", - "15-17", - "15-20", - "15-22", - "15-25", "15-28", "15-31", "16-title",