diff --git a/12/24.txt b/12/24.txt index e716d51..5b1b60b 100644 --- a/12/24.txt +++ b/12/24.txt @@ -1,3 +1 @@ -\v 24 कौवों पर ध्यान दो; वे न बोते हैं, न काटते; न उनके भण्डार और न खत्ता होता है; फिर भी परमेश्‍वर उन्हें खिलाता है। तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है (भज. 147:9) -\v 25 तुम में से ऐसा कौन है, जो चिन्ता करने से अपने जीवनकाल में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है? -26 इसलिए यदि तुम सबसे छोटा काम भी नहीं कर सकते, तो और बातों के लिये क्यों चिन्ता करते हो? +\v 24 कौवों पर ध्यान दो; वे न बोते हैं, न काटते; न उनके भण्डार और न खत्ता होता है; फिर भी परमेश्‍वर उन्हें खिलाता है। तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है (भज. 147:9) \v 25 तुम में से ऐसा कौन है, जो चिन्ता करने से अपने जीवनकाल में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है? \v 26 इसलिए यदि तुम सबसे छोटा काम भी नहीं कर सकते, तो और बातों के लिये क्यों चिन्ता करते हो? \ No newline at end of file diff --git a/12/27.txt b/12/27.txt new file mode 100644 index 0000000..3315096 --- /dev/null +++ b/12/27.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 27 सोसनों पर ध्यान करो, कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न परिश्रम करते, न काटते हैं; फिर भी मैं तुम से कहता हूँ, कि सुलैमान भी अपने सारे वैभव में, उनमें से किसी एक के समान वस्त्र पहने हुए न था। \v 28 इसलिए यदि परमेश्‍वर मैदान की घास को जो आज है, और कल भट्ठी में झोंकी जाएगी, ऐसा पहनाता है; तो हे अल्पविश्वासियों, वह तुम्हें अधिक क्यों न पहनाएगा? \ No newline at end of file diff --git a/12/29.txt b/12/29.txt new file mode 100644 index 0000000..06a652c --- /dev/null +++ b/12/29.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 29 और तुम इस बात की खोज में न रहो, कि क्या खाएँगे और क्या पीएँगे, और न सन्देह करो। \v 30 क्योंकि संसार की जातियाँ इन सब वस्तुओं की खोज में रहती हैं और तुम्हारा पिता जानता है, कि तुम्हें इन वस्तुओं की आवश्यकता है। \ No newline at end of file diff --git a/12/31.txt b/12/31.txt new file mode 100644 index 0000000..19b772d --- /dev/null +++ b/12/31.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 31 परन्तु उसके राज्य की खोज में रहो, तो ये वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी। \v 32 “हे छोटे झुण्ड, मत डर; क्योंकि तुम्हारे पिता को यह भाया है, कि तुम्हें राज्य दे। \ No newline at end of file diff --git a/12/33.txt b/12/33.txt new file mode 100644 index 0000000..ec48458 --- /dev/null +++ b/12/33.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 33 अपनी संपत्ति बेचकर* दान कर दो; और अपने लिये ऐसे बटुए बनाओ, जो पुराने नहीं होते, अर्थात् स्वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो जो घटता नहीं, जिसके निकट चोर नहीं जाता, और कीड़ा नाश नहीं करता। \v 34 क्योंकि जहाँ तुम्हारा धन है, वहाँ तुम्हारा मन भी लगा रहेगा। \ No newline at end of file diff --git a/12/35.txt b/12/35.txt new file mode 100644 index 0000000..6779761 --- /dev/null +++ b/12/35.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 35 “तुम्हारी कमर बंधी रहें, और तुम्हारे दीये जलते रहें। (निर्ग. 12:11, 2 राजा. 4:29, इफि. 6:14, मत्ती 5:16) \v 36 और तुम उन मनुष्यों के समान बनो, जो अपने स्वामी की प्रतीक्षा कर रहे हों, कि वह विवाह से कब लौटेगा; कि जब वह आकर द्वार खटखटाएँ तो तुरन्त उसके लिए खोल दें। \ No newline at end of file diff --git a/12/37.txt b/12/37.txt new file mode 100644 index 0000000..df93367 --- /dev/null +++ b/12/37.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 37 धन्य हैं वे दास, जिन्हें स्वामी आकर जागते पाए; मैं तुम से सच कहता हूँ, कि वह कमर बाँध कर उन्हें भोजन करने को बैठाएगा, और पास आकर उनकी सेवा करेगा। \v 38 यदि वह रात के दूसरे पहर या तीसरे पहर में आकर उन्हें जागते पाए, तो वे दास धन्य हैं। \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index abcd497..03426e1 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -297,6 +297,13 @@ "12-13", "12-16", "12-20", - "12-22" + "12-22", + "12-24", + "12-27", + "12-29", + "12-31", + "12-33", + "12-35", + "12-37" ] } \ No newline at end of file