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\c 8 \v 1 इसके बाद वह नगर-नगर और गाँव-गाँव प्रचार करता हुआ, और परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार सुनाता हुआ, फिरने लगा, और वे बारह उसके साथ थे, \v 2 और कुछ स्त्रियाँ भी जो दुष्टात्माओं से और बीमारियों से छुड़ाई गई थीं, और वे यह हैं: मरियम जो मगदलीनी कहलाती थी*, जिसमें से सात दुष्टात्माएँ निकली थीं, \v 3 और हेरोदेस के भण्डारी खोजा की पत्‍नी योअन्ना और सूसन्नाह और बहुत सी और स्त्रियाँ, ये तो अपनी सम्पत्ति से यीशु और उसके चेलों की सेवा करती थीं।
\c 8 \v 1 इसके बाद वह नगर-नगर और गाँव-गाँव प्रचार करता हुआ, और परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार सुनाता हुआ, फिरने लगा, और वे बारह उसके साथ थे, \v 2 और कुछ स्त्रियाँ भी जो दुष्टात्माओं से और बीमारियों से छुड़ाई गई थीं, और वे यह हैं: मरियम जो मगदलीनी कहलाती थी*, जिसमें से सात दुष्टात्माएँ निकली थीं, \v 3 और हेरोदेस के भण्डारी खोजा की पत्‍नी योअन्ना और सूसन्नाह और बहुत सी और स्त्रियाँ, ये तो अपनी सम्पत्ति से यीशु और उसके चेलों की सेवा करती थीं। बीज बोनेवाले का दृष्टान्त

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\v 7 कुछ झाड़ियों के बीच में गिरा, और झाड़ियों ने साथ-साथ बढ़कर उसे दबा लिया। \v 8 “और कुछ अच्छी भूमि पर गिरा, और उगकर सौ गुणा फल लाया।” यह कहकर उसने ऊँचे शब्द से कहा, “जिसके सुनने के कान हों वह सुन लें।”
\v 7 कुछ झाड़ियों के बीच में गिरा, और झाड़ियों ने साथ-साथ बढ़कर उसे दबा लिया। \v 8 “और कुछ अच्छी भूमि पर गिरा, और उगकर सौ गुणा फल लाया।” यह कहकर उसने ऊँचे शब्द से कहा, “जिसके सुनने के कान हों वह सुन लें।” दृष्टान्तों का उद्देश्य

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\v 9 उसके चेलों ने उससे पूछा, “इस दृष्टान्त का अर्थ क्या है?” \v 10 उसने कहा, “तुम को परमेश्‍वर के राज्य के भेदों की समझ दी गई है, पर औरों को दृष्टान्तों में सुनाया जाता है, इसलिए कि
‘वे देखते हुए भी न देखें,
और सुनते हुए भी न समझें।’ (यशा. 6:9-10)
और सुनते हुए भी न समझें।’ (यशा. 6:9-10) बीज बोनेवाले दृष्टान्त का अर्थ

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\v 14 जो झाड़ियों में गिरा, यह वे हैं, जो सुनते हैं, पर आगे चलकर चिन्ता और धन और जीवन के सुख-विलास में फँस जाते हैं, और उनका फल नहीं पकता। \v 15 पर अच्छी भूमि में के वे हैं, जो वचन सुनकर उसे अपने भले और उत्तम मन में सम्भाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं।
\v 14 जो झाड़ियों में गिरा, यह वे हैं, जो सुनते हैं, पर आगे चलकर चिन्ता और धन और जीवन के सुख-विलास में फँस जाते हैं, और उनका फल नहीं पकता। \v 15 पर अच्छी भूमि में के वे हैं, जो वचन सुनकर उसे अपने भले और उत्तम मन में सम्भाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं। दिया का उपयोग

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\v 16 “कोई दिया जला कर* बर्तन से नहीं ढाँकता, और न खाट के नीचे रखता है, परन्तु दीवट पर रखता है, कि भीतर आनेवाले प्रकाश पाएँ। \v 17 कुछ छिपा नहीं, जो प्रगट न हो; और न कुछ गुप्त है, जो जाना न जाए, और प्रगट न हो। \v 18 इसलिए सावधान रहो, कि तुम किस रीति से सुनते हो क्योंकि जिसके पास है, उसे दिया जाएगा; और जिसके पास नहीं है, उससे वह भी ले लिया जाएगा, जिसे वह अपना समझता है।”
\v 16 “कोई दिया जला कर* बर्तन से नहीं ढाँकता, और न खाट के नीचे रखता है, परन्तु दीवट पर रखता है, कि भीतर आनेवाले प्रकाश पाएँ। \v 17 कुछ छिपा नहीं, जो प्रगट न हो; और न कुछ गुप्त है, जो जाना न जाए, और प्रगट न हो। \v 18 इसलिए सावधान रहो, कि तुम किस रीति से सुनते हो क्योंकि जिसके पास है, उसे दिया जाएगा; और जिसके पास नहीं है, उससे वह भी ले लिया जाएगा, जिसे वह अपना समझता है।” यीशु का सच्चा परिवार

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\v 19 उसकी माता और उसके भाई पास आए, पर भीड़ के कारण उससे भेंट न कर सके। \v 20 और उससे कहा गया, “तेरी माता और तेरे भाई बाहर खड़े हुए तुझ से मिलना चाहते हैं।” \v 21 उसने उसके उत्तर में उनसे कहा, “मेरी माता और मेरे भाई ये ही है, जो परमेश्‍वर का वचन सुनते और उस पर चलते हैं।”
\v 19 उसकी माता और उसके भाई पास आए, पर भीड़ के कारण उससे भेंट न कर सके। \v 20 और उससे कहा गया, “तेरी माता और तेरे भाई बाहर खड़े हुए तुझ से मिलना चाहते हैं।” \v 21 उसने उसके उत्तर में उनसे कहा, “मेरी माता और मेरे भाई ये ही है, जो परमेश्‍वर का वचन सुनते और उस पर चलते हैं।” आँधी और तूफान को शान्त करना