Sat Nov 23 2024 08:21:32 GMT+0530 (India Standard Time)
This commit is contained in:
parent
6af9439f15
commit
5646b7edeb
|
@ -0,0 +1 @@
|
|||
\v 18 पर वे सब के सब क्षमा माँगने लगे, पहले ने उससे कहा, ‘मैंने खेत मोल लिया है, और अवश्य है कि उसे देखूँ; मैं तुझ से विनती करता हूँ, मुझे क्षमा कर दे।’ \v 19 दूसरे ने कहा, ‘मैंने पाँच जोड़े बैल मोल लिए हैं, और उन्हें परखने जा रहा हूँ; मैं तुझ से विनती करता हूँ, मुझे क्षमा कर दे।’ \v 20 एक और ने कहा, ‘मैंने विवाह किया है, इसलिए मैं नहीं आ सकता।’
|
|
@ -0,0 +1 @@
|
|||
\v 21 उस दास ने आकर अपने स्वामी को ये बातें कह सुनाईं। तब घर के स्वामी ने क्रोध में आकर अपने दास से कहा, ‘नगर के बाज़ारों और गलियों में तुरन्त जाकर कंगालों, टुण्डों, लँगड़ों और अंधों को यहाँ ले आओ।’ \v 22 दास ने फिर कहा, ‘हे स्वामी, जैसे तूने कहा था, वैसे ही किया गया है; फिर भी जगह है।’
|
|
@ -0,0 +1 @@
|
|||
\v 23 स्वामी ने दास से कहा, ‘सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए। \v 24 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि उन पहले आमन्त्रित लोगों में से कोई मेरे भोज को न चखेगा*’।”
|
|
@ -0,0 +1 @@
|
|||
\v 25 और जब बड़ी भीड़ उसके साथ जा रही थी, तो उसने पीछे फिरकर उनसे कहा। \v 26 “यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्नी और बच्चों और भाइयों और बहनों वरन् अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता; (मत्ती 10:37, यूह. 12:25, व्य. 33:9) \v 27 और जो कोई अपना क्रूस न उठाए; और मेरे पीछे न आए; वह भी मेरा चेला नहीं हो सकता।
|
|
@ -0,0 +1 @@
|
|||
\v 28 “तुम में से कौन है कि गढ़ बनाना चाहता हो, और पहले बैठकर खर्च न जोड़े, कि पूरा करने की सामर्थ्य मेरे पास है कि नहीं? \v 29 कहीं ऐसा न हो, कि जब नींव डालकर तैयार न कर सके, तो सब देखनेवाले यह कहकर उसका उपहास करेंगे, \v 30 ‘यह मनुष्य बनाने तो लगा, पर तैयार न कर सका?’
|
|
@ -0,0 +1,3 @@
|
|||
31 या कौन ऐसा राजा है, कि दूसरे राजा से युद्ध करने जाता हो, और पहले बैठकर विचार न कर ले कि जो बीस हज़ार लेकर मुझ पर चढ़ा आता है, क्या मैं दस हज़ार लेकर उसका सामना कर सकता हूँ, कि नहीं?
|
||||
32 नहीं तो उसके दूर रहते ही, वह दूत को भेजकर मिलाप करना चाहेगा।
|
||||
33 इसी रीति से तुम में से जो कोई अपना सब कुछ त्याग न दे, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता।
|
|
@ -336,6 +336,11 @@
|
|||
"14-10",
|
||||
"14-12",
|
||||
"14-13",
|
||||
"14-15"
|
||||
"14-15",
|
||||
"14-18",
|
||||
"14-21",
|
||||
"14-23",
|
||||
"14-25",
|
||||
"14-28"
|
||||
]
|
||||
}
|
Loading…
Reference in New Issue