diff --git a/07/02.txt b/07/02.txt index d033e16..93da628 100644 --- a/07/02.txt +++ b/07/02.txt @@ -1,2 +1 @@ -\v 5 \v 2 और किसी सूबेदार का एक दास जो उसका प्रिय था, बीमारी से मरने पर था। \v 3 उसने यीशु की चर्चा सुनकर यहूदियों के कई प्राचीनों को उससे यह विनती करने को उसके पास भेजा, कि आकर मेरे दास को चंगा कर। \v 4 वे यीशु के पास आकर उससे बड़ी विनती करके कहने लगे, “वह इस योग्य है, कि तू उसके लिये यह करे, -5 क्योंकि वह हमारी जाति से प्रेम रखता है, और उसी ने हमारे आराधनालय को बनाया है।” \ No newline at end of file +\v 2 और किसी सूबेदार का एक दास जो उसका प्रिय था, बीमारी से मरने पर था। \v 3 उसने यीशु की चर्चा सुनकर यहूदियों के कई प्राचीनों को उससे यह विनती करने को उसके पास भेजा, कि आकर मेरे दास को चंगा कर। \v 4 वे यीशु के पास आकर उससे बड़ी विनती करके कहने लगे, “वह इस योग्य है, कि तू उसके लिये यह करे, \v 5 क्योंकि वह हमारी जाति से प्रेम रखता है, और उसी ने हमारे आराधनालय को बनाया है।” \ No newline at end of file diff --git a/07/06.txt b/07/06.txt new file mode 100644 index 0000000..0e2de7b --- /dev/null +++ b/07/06.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 6 यीशु उनके साथ-साथ चला, पर जब वह घर से दूर न था, तो सूबेदार ने उसके पास कई मित्रों के द्वारा कहला भेजा, “हे प्रभु दुःख न उठा, क्योंकि मैं इस योग्य नहीं, कि तू मेरी छत के तले आए। \v 7 इसी कारण मैंने अपने आप को इस योग्य भी न समझा, कि तेरे पास आऊँ, पर तू वचन ही कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा। \v 8 मैं भी पराधीन मनुष्य हूँ; और सिपाही मेरे हाथ में हैं, और जब एक को कहता हूँ, ‘जा,’ तो वह जाता है, और दूसरे से कहता हूँ कि ‘आ,’ तो आता है; और अपने किसी दास को कि ‘यह कर,’ तो वह उसे करता है।” \ No newline at end of file diff --git a/07/09.txt b/07/09.txt new file mode 100644 index 0000000..aef7885 --- /dev/null +++ b/07/09.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 9 यह सुनकर यीशु ने अचम्भा किया, और उसने मुँह फेरकर उस भीड़ से जो उसके पीछे आ रही थी कहा, “मैं तुम से कहता हूँ, कि मैंने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया।” \v 10 और भेजे हुए लोगों ने घर लौटकर, उस दास को चंगा पाया। \ No newline at end of file diff --git a/07/11.txt b/07/11.txt new file mode 100644 index 0000000..15f44b9 --- /dev/null +++ b/07/11.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 11 थोड़े दिन के बाद वह नाईन* नाम के एक नगर को गया, और उसके चेले, और बड़ी भीड़ उसके साथ जा रही थी। \v 12 जब वह नगर के फाटक के पास पहुँचा, तो देखो, लोग एक मुर्दे को बाहर लिए जा रहे थे; जो अपनी माँ का एकलौता पुत्र था (और वह विधवा थी), और नगर के बहुत से लोग उसके साथ थे। \v 13 उसे देखकर प्रभु को तरस आया, और उसने कहा, “मत रो।” \v 14 तब उसने पास आकर दफ़न-संदूक को छुआ; और उठानेवाले ठहर गए, तब उसने कहा, “हे जवान, मैं तुझ से कहता हूँ, उठ!” \v 15 तब वह मुर्दा उठ बैठा, और बोलने लगा: और उसने उसे उसकी माँ को सौंप दिया। \ No newline at end of file diff --git a/07/16.txt b/07/16.txt new file mode 100644 index 0000000..b592067 --- /dev/null +++ b/07/16.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 16 इससे सब पर भय छा गया*; और वे परमेश्‍वर की बड़ाई करके कहने लगे, “हमारे बीच में एक बड़ा भविष्यद्वक्ता उठा है, और परमेश्‍वर ने अपने लोगों पर कृपादृष्‍टि की है।” \v 17 और उसके विषय में यह बात सारे यहूदिया और आस-पास के सारे देश में फैल गई। \ No newline at end of file diff --git a/07/18.txt b/07/18.txt new file mode 100644 index 0000000..ba9e487 --- /dev/null +++ b/07/18.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 18 और यूहन्ना को उसके चेलों ने इन सब बातों का समाचार दिया। \v 19 तब यूहन्ना ने अपने चेलों में से दो को बुलाकर प्रभु के पास यह पूछने के लिये भेजा, “क्या आनेवाला तू ही है, या हम किसी और दूसरे की प्रतीक्षा करे?” \v 20 उन्होंने उसके पास आकर कहा, “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने हमें तेरे पास यह पूछने को भेजा है, कि क्या आनेवाला तू ही है, या हम दूसरे की प्रतीक्षा करे?” \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 2e0ec36..ddf94e1 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -172,6 +172,12 @@ "06-46", "06-49", "07-title", - "07-01" + "07-01", + "07-02", + "07-06", + "07-09", + "07-11", + "07-16", + "07-18" ] } \ No newline at end of file