diff --git a/13/04.txt b/13/04.txt index def7d8e..e064bfa 100644 --- a/13/04.txt +++ b/13/04.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 4 या क्या तुम समझते हो, कि वे अठारह जन जिन पर शीलोह का गुम्मट गिरा, और वे दबकर मर गए: यरूशलेम के और सब रहनेवालों से अधिक अपराधी थे? \v 5 मैं तुम से कहता हूँ, कि नहीं; परन्तु यदि तुम मन न फिराओगे तो तुम भी सब इसी रीति से नाश होंगे।” बिना फल वाला अंजीर का पेड़ \ No newline at end of file +\v 4 या क्या तुम समझते हो, कि वे अठारह जन जिन पर शीलोह का गुम्मट गिरा, और वे दबकर मर गए: यरूशलेम के और सब रहनेवालों से अधिक अपराधी थे? \v 5 मैं तुम से कहता हूँ, कि नहीं; परन्तु यदि तुम मन न फिराओगे तो तुम भी सब इसी रीति से नाश होंगे।” +बिना फल वाला अंजीर का पेड़ \ No newline at end of file diff --git a/13/08.txt b/13/08.txt index 0c9b02f..81895c8 100644 --- a/13/08.txt +++ b/13/08.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 8 उसने उसको उत्तर दिया, कि हे स्वामी, इसे इस वर्ष तो और रहने दे; कि मैं इसके चारों ओर खोदकर खाद डालूँ। \v 9 अतः आगे को फले तो भला, नहीं तो उसे काट डालना।” कुबड़ी स्त्री को चंगा करना \ No newline at end of file +\v 8 उसने उसको उत्तर दिया, कि हे स्वामी, इसे इस वर्ष तो और रहने दे; कि मैं इसके चारों ओर खोदकर खाद डालूँ। \v 9 अतः आगे को फले तो भला, नहीं तो उसे काट डालना।” +कुबड़ी स्त्री को चंगा करना \ No newline at end of file diff --git a/13/17.txt b/13/17.txt index cb6f0ce..cde7617 100644 --- a/13/17.txt +++ b/13/17.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 17 जब उसने ये बातें कहीं, तो उसके सब विरोधी लज्जित हो गए, और सारी भीड़ उन महिमा के कामों से जो वह करता था, आनन्दित हुई। राई के दाने और ख़मीर का दृष्टान्त \ No newline at end of file +\v 17 जब उसने ये बातें कहीं, तो उसके सब विरोधी लज्जित हो गए, और सारी भीड़ उन महिमा के कामों से जो वह करता था, आनन्दित हुई। +राई के दाने और ख़मीर का दृष्टान्त \ No newline at end of file diff --git a/13/20.txt b/13/20.txt index 9ca1b86..56f0d32 100644 --- a/13/20.txt +++ b/13/20.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 20 उसने फिर कहा, “मैं परमेश्‍वर के राज्य कि उपमा किस से दूँ? \v 21 वह ख़मीर के समान है, जिसको किसी स्त्री ने लेकर तीन पसेरी आटे में मिलाया, और होते-होते सब आटा ख़मीर हो गया।” सकेत द्वार \ No newline at end of file +\v 20 उसने फिर कहा, “मैं परमेश्‍वर के राज्य कि उपमा किस से दूँ? \v 21 वह ख़मीर के समान है, जिसको किसी स्त्री ने लेकर तीन पसेरी आटे में मिलाया, और होते-होते सब आटा ख़मीर हो गया।” +सकेत द्वार \ No newline at end of file diff --git a/13/28.txt b/13/28.txt index 35e0b4b..05c41a0 100644 --- a/13/28.txt +++ b/13/28.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 28 वहाँ रोना और दाँत पीसना होगा, जब तुम अब्राहम और इसहाक और याकूब और सब भविष्यद्वक्ताओं को परमेश्‍वर के राज्य में बैठे, और अपने आप को बाहर निकाले हुए देखोगे। \v 29 और पूर्व और पश्चिम; उत्तर और दक्षिण से लोग आकर परमेश्‍वर के राज्य के भोज में भागी होंगे। (यशा. 66:18, प्रका. 7:9, भज. 107:3, मला. 1:11) \v 30 यह जान लो, कितने पिछले हैं वे प्रथम होंगे, और कितने जो प्रथम हैं, वे पिछले होंगे।” हेरोदेस की शत्रुता \ No newline at end of file +\v 28 वहाँ रोना और दाँत पीसना होगा, जब तुम अब्राहम और इसहाक और याकूब और सब भविष्यद्वक्ताओं को परमेश्‍वर के राज्य में बैठे, और अपने आप को बाहर निकाले हुए देखोगे। \v 29 और पूर्व और पश्चिम; उत्तर और दक्षिण से लोग आकर परमेश्‍वर के राज्य के भोज में भागी होंगे। (यशा. 66:18, प्रका. 7:9, भज. 107:3, मला. 1:11) \v 30 यह जान लो, कितने पिछले हैं वे प्रथम होंगे, और कितने जो प्रथम हैं, वे पिछले होंगे।” +हेरोदेस की शत्रुता \ No newline at end of file diff --git a/13/31.txt b/13/31.txt index 0f8f820..032cda4 100644 --- a/13/31.txt +++ b/13/31.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 31 उसी घड़ी कितने फरीसियों ने आकर उससे कहा, “यहाँ से निकलकर चला जा; क्योंकि हेरोदेस तुझे मार डालना चाहता है।” \v 32 उसने उनसे कहा, “जाकर उस लोमड़ी से कह दो, कि देख मैं आज और कल दुष्टात्माओं को निकालता और बीमारों को चंगा करता हूँ और तीसरे दिन अपना कार्य पूरा करूँगा। \v 33 तो भी मुझे आज और कल और परसों चलना अवश्य है, क्योंकि हो नहीं सकता कि कोई भविष्यद्वक्ता यरूशलेम के बाहर मारा जाए। यरूशलेम के लिये विलाप \ No newline at end of file +\v 31 उसी घड़ी कितने फरीसियों ने आकर उससे कहा, “यहाँ से निकलकर चला जा; क्योंकि हेरोदेस तुझे मार डालना चाहता है।” \v 32 उसने उनसे कहा, “जाकर उस लोमड़ी से कह दो, कि देख मैं आज और कल दुष्टात्माओं को निकालता और बीमारों को चंगा करता हूँ और तीसरे दिन अपना कार्य पूरा करूँगा। \v 33 तो भी मुझे आज और कल और परसों चलना अवश्य है, क्योंकि हो नहीं सकता कि कोई भविष्यद्वक्ता यरूशलेम के बाहर मारा जाए। +यरूशलेम के लिये विलाप \ No newline at end of file diff --git a/14/04.txt b/14/04.txt index cdb99ac..c7dcd49 100644 --- a/14/04.txt +++ b/14/04.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 4 परन्तु वे चुपचाप रहे। तब उसने उसे हाथ लगाकर चंगा किया, और जाने दिया। \v 5 और उनसे कहा, “तुम में से ऐसा कौन है, जिसका पुत्र या बैल कुएँ में गिर जाए और वह सब्त के दिन उसे तुरन्त बाहर न निकाल ले?” \v 6 वे इन बातों का कुछ उत्तर न दे सके। अतिथियों का सत्कार \ No newline at end of file +\v 4 परन्तु वे चुपचाप रहे। तब उसने उसे हाथ लगाकर चंगा किया, और जाने दिया। \v 5 और उनसे कहा, “तुम में से ऐसा कौन है, जिसका पुत्र या बैल कुएँ में गिर जाए और वह सब्त के दिन उसे तुरन्त बाहर न निकाल ले?” \v 6 वे इन बातों का कुछ उत्तर न दे सके। +अतिथियों का सत्कार \ No newline at end of file diff --git a/14/10.txt b/14/10.txt index 96aaee2..81468ae 100644 --- a/14/10.txt +++ b/14/10.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 10 पर जब तू बुलाया जाए, तो सबसे नीची जगह जा बैठ, कि जब वह, जिस ने तुझे नेवता दिया है आए, तो तुझ से कहे ‘हे मित्र, आगे बढ़कर बैठ,’ तब तेरे साथ बैठनेवालों के सामने तेरी बड़ाई होगी। (नीति. 25:6-7) \v 11 क्योंकि जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।” प्रतिफल \ No newline at end of file +\v 10 पर जब तू बुलाया जाए, तो सबसे नीची जगह जा बैठ, कि जब वह, जिस ने तुझे नेवता दिया है आए, तो तुझ से कहे ‘हे मित्र, आगे बढ़कर बैठ,’ तब तेरे साथ बैठनेवालों के सामने तेरी बड़ाई होगी। (नीति. 25:6-7) \v 11 क्योंकि जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।” +प्रतिफल \ No newline at end of file diff --git a/14/13.txt b/14/13.txt index 311afe7..b923b2f 100644 --- a/14/13.txt +++ b/14/13.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 13 परन्तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्डों, लँगड़ों और अंधों को बुला। \v 14 तब तू धन्य होगा, क्योंकि उनके पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्तु तुझे धर्मियों के जी उठने* पर इसका प्रतिफल मिलेगा।” बड़े भोज का दृष्टान्त \ No newline at end of file +\v 13 परन्तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्डों, लँगड़ों और अंधों को बुला। \v 14 तब तू धन्य होगा, क्योंकि उनके पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्तु तुझे धर्मियों के जी उठने* पर इसका प्रतिफल मिलेगा।” +बड़े भोज का दृष्टान्त \ No newline at end of file diff --git a/14/23.txt b/14/23.txt index 6700744..1141d3d 100644 --- a/14/23.txt +++ b/14/23.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 23 स्वामी ने दास से कहा, ‘सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए। \v 24 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि उन पहले आमन्त्रित लोगों में से कोई मेरे भोज को न चखेगा*’।” कौन यीशु का चेला हो सकता? \ No newline at end of file +\v 23 स्वामी ने दास से कहा, ‘सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए। \v 24 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि उन पहले आमन्त्रित लोगों में से कोई मेरे भोज को न चखेगा*’।” +कौन यीशु का चेला हो सकता? \ No newline at end of file diff --git a/14/31.txt b/14/31.txt index 7763690..12d8527 100644 --- a/14/31.txt +++ b/14/31.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 31 या कौन ऐसा राजा है, कि दूसरे राजा से युद्ध करने जाता हो, और पहले बैठकर विचार न कर ले कि जो बीस हज़ार लेकर मुझ पर चढ़ा आता है, क्या मैं दस हज़ार लेकर उसका सामना कर सकता हूँ, कि नहीं? \v 32 नहीं तो उसके दूर रहते ही, वह दूत को भेजकर मिलाप करना चाहेगा। \v 33 इसी रीति से तुम में से जो कोई अपना सब कुछ त्याग न दे, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता। स्वादहीन नमक \ No newline at end of file +\v 31 या कौन ऐसा राजा है, कि दूसरे राजा से युद्ध करने जाता हो, और पहले बैठकर विचार न कर ले कि जो बीस हज़ार लेकर मुझ पर चढ़ा आता है, क्या मैं दस हज़ार लेकर उसका सामना कर सकता हूँ, कि नहीं? \v 32 नहीं तो उसके दूर रहते ही, वह दूत को भेजकर मिलाप करना चाहेगा। \v 33 इसी रीति से तुम में से जो कोई अपना सब कुछ त्याग न दे, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता। +स्वादहीन नमक \ No newline at end of file diff --git a/15/06.txt b/15/06.txt index df9627a..57d4939 100644 --- a/15/06.txt +++ b/15/06.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 6 और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठे करके कहता है, ‘मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है।’ \v 7 मैं तुम से कहता हूँ; कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्यानवे ऐसे धर्मियों के विषय में नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं। खोए हुए सिक्के का दृष्टान्त \ No newline at end of file +\v 6 और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठे करके कहता है, ‘मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है।’ \v 7 मैं तुम से कहता हूँ; कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्यानवे ऐसे धर्मियों के विषय में नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं। +खोए हुए सिक्के का दृष्टान्त \ No newline at end of file diff --git a/15/08.txt b/15/08.txt index 548f3fe..958924d 100644 --- a/15/08.txt +++ b/15/08.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 8 “या कौन ऐसी स्त्री होगी, जिसके पास दस चाँदी के सिक्के हों, और उनमें से एक खो जाए; तो वह दिया जलाकर और घर झाड़-बुहारकर जब तक मिल न जाए, जी लगाकर खोजती न रहे? \v 9 और जब मिल जाता है, तो वह अपने सखियों और पड़ोसिनियों को इकट्ठी करके कहती है, कि ‘मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरा खोया हुआ सिक्का मिल गया है।’ \v 10 मैं तुम से कहता हूँ; कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में परमेश्‍वर के स्वर्गदूतों के सामने आनन्द होता है।” उड़ाऊ पुत्र का दृष्टान्त \ No newline at end of file +\v 8 “या कौन ऐसी स्त्री होगी, जिसके पास दस चाँदी के सिक्के हों, और उनमें से एक खो जाए; तो वह दिया जलाकर और घर झाड़-बुहारकर जब तक मिल न जाए, जी लगाकर खोजती न रहे? \v 9 और जब मिल जाता है, तो वह अपने सखियों और पड़ोसिनियों को इकट्ठी करके कहती है, कि ‘मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरा खोया हुआ सिक्का मिल गया है।’ \v 10 मैं तुम से कहता हूँ; कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में परमेश्‍वर के स्वर्गदूतों के सामने आनन्द होता है।” +उड़ाऊ पुत्र का दृष्टान्त \ No newline at end of file diff --git a/15/17.txt b/15/17.txt index ecb18c2..3b50a00 100644 --- a/15/17.txt +++ b/15/17.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 17 जब वह अपने आपे में आया, तब कहने लगा, ‘मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ। \v 18 मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊँगा और उससे कहूँगा कि पिता जी मैंने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है। (भज. 51:4) \v 19 अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊँ, मुझे अपने एक मजदूर के समान रख ले।’ उड़ाऊ पुत्र का लौटना \ No newline at end of file +\v 17 जब वह अपने आपे में आया, तब कहने लगा, ‘मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ। \v 18 मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊँगा और उससे कहूँगा कि पिता जी मैंने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है। (भज. 51:4) \v 19 अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊँ, मुझे अपने एक मजदूर के समान रख ले।’ +उड़ाऊ पुत्र का लौटना \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 011ebd8..4adc1b3 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -246,42 +246,29 @@ "13-title", "13-01", "13-06", - "13-08", "13-10", "13-12", "13-15", - "13-17", "13-18", - "13-20", "13-22", "13-25", - "13-28", - "13-31", "13-34", "14-title", "14-01", - "14-04", "14-07", - "14-10", "14-12", - "14-13", "14-15", "14-18", "14-21", - "14-23", "14-25", "14-28", - "14-31", "14-34", "15-title", "15-01", "15-03", - "15-06", - "15-08", "15-11", "15-13", "15-15", - "15-17", "15-20", "15-22", "15-25",