diff --git a/21/27.txt b/21/27.txt index 9cac961..480b12c 100644 --- a/21/27.txt +++ b/21/27.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 27 तब वे मनुष्य के पुत्र को सामर्थ्य और बड़ी महिमा के साथ बादल पर आते देखेंगे। (प्रका. 1:7, दानि. 7:13) \v 28 जब ये बातें होने लगें, तो सीधे होकर अपने सिर ऊपर उठाना; क्योंकि तुम्हारा छुटकारा निकट होगा।” परमेश्‍वर का राज्य निकट है \ No newline at end of file +\v 27 तब वे मनुष्य के पुत्र को सामर्थ्य और बड़ी महिमा के साथ बादल पर आते देखेंगे। (प्रका. 1:7, दानि. 7:13) \v 28 जब ये बातें होने लगें, तो सीधे होकर अपने सिर ऊपर उठाना; क्योंकि तुम्हारा छुटकारा निकट होगा।” +परमेश्‍वर का राज्य निकट है \ No newline at end of file diff --git a/21/32.txt b/21/32.txt index e7f4cd9..f888aea 100644 --- a/21/32.txt +++ b/21/32.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 32 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जब तक ये सब बातें न हो लें, तब तक इस पीढ़ी का कदापि अन्त न होगा। \v 33 आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी। सदा तैयार रहो \ No newline at end of file +\v 32 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जब तक ये सब बातें न हो लें, तब तक इस पीढ़ी का कदापि अन्त न होगा। \v 33 आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी। +सदा तैयार रहो \ No newline at end of file diff --git a/22/01.txt b/22/01.txt index 9e090f5..0fa8742 100644 --- a/22/01.txt +++ b/22/01.txt @@ -1 +1,2 @@ -\c 22 \v 1 अख़मीरी रोटी का पर्व जो फसह कहलाता है, निकट था। \v 2 और प्रधान याजक और शास्त्री इस बात की खोज में थे कि उसको कैसे मार डालें, पर वे लोगों से डरते थे। यहूदा इस्करियोती का विश्वासघात \ No newline at end of file +\c 22 \v 1 अख़मीरी रोटी का पर्व जो फसह कहलाता है, निकट था। \v 2 और प्रधान याजक और शास्त्री इस बात की खोज में थे कि उसको कैसे मार डालें, पर वे लोगों से डरते थे। +यहूदा इस्करियोती का विश्वासघात \ No newline at end of file diff --git a/22/05.txt b/22/05.txt index 8efc433..7392399 100644 --- a/22/05.txt +++ b/22/05.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 5 वे आनन्दित हुए, और उसे रुपये देने का वचन दिया। \v 6 उसने मान लिया, और अवसर ढूँढ़ने लगा, कि बिना उपद्रव के उसे उनके हाथ पकड़वा दे। फसह की तैयारी \ No newline at end of file +\v 5 वे आनन्दित हुए, और उसे रुपये देने का वचन दिया। \v 6 उसने मान लिया, और अवसर ढूँढ़ने लगा, कि बिना उपद्रव के उसे उनके हाथ पकड़वा दे। +फसह की तैयारी \ No newline at end of file diff --git a/22/12.txt b/22/12.txt index 47eb8bc..886d61d 100644 --- a/22/12.txt +++ b/22/12.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 12 वह तुम्हें एक सजी-सजाई बड़ी अटारी दिखा देगा; वहाँ तैयारी करना। \v 13 उन्होंने जाकर, जैसा उसने उनसे कहा था, वैसा ही पाया, और फसह तैयार किया। प्रभु का अन्तिम भोज \ No newline at end of file +\v 12 वह तुम्हें एक सजी-सजाई बड़ी अटारी दिखा देगा; वहाँ तैयारी करना। \v 13 उन्होंने जाकर, जैसा उसने उनसे कहा था, वैसा ही पाया, और फसह तैयार किया। +प्रभु का अन्तिम भोज \ No newline at end of file diff --git a/22/21.txt b/22/21.txt index 275180f..f6b228c 100644 --- a/22/21.txt +++ b/22/21.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 21 पर देखो, मेरे पकड़वानेवाले का हाथ मेरे साथ मेज पर है। (भज. 41:9) \v 22 क्योंकि मनुष्य का पुत्र तो जैसा उसके लिये ठहराया गया, जाता ही है, पर हाय उस मनुष्य पर, जिसके द्वारा वह पकड़वाया जाता है!” \v 23 तब वे आपस में पूछ-ताछ करने लगे, “हम में से कौन है, जो यह काम करेगा?” कौन बड़ा समझा जाएगा? \ No newline at end of file +\v 21 पर देखो, मेरे पकड़वानेवाले का हाथ मेरे साथ मेज पर है। (भज. 41:9) \v 22 क्योंकि मनुष्य का पुत्र तो जैसा उसके लिये ठहराया गया, जाता ही है, पर हाय उस मनुष्य पर, जिसके द्वारा वह पकड़वाया जाता है!” \v 23 तब वे आपस में पूछ-ताछ करने लगे, “हम में से कौन है, जो यह काम करेगा?” +कौन बड़ा समझा जाएगा? \ No newline at end of file diff --git a/22/28.txt b/22/28.txt index efef3b7..e862a54 100644 --- a/22/28.txt +++ b/22/28.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 28 “परन्तु तुम वह हो, जो मेरी परीक्षाओं में लगातार मेरे साथ रहे; \v 29 और जैसे मेरे पिता ने मेरे लिये एक राज्य ठहराया है, वैसे ही मैं भी तुम्हारे लिये ठहराता हूँ। \v 30 ताकि तुम मेरे राज्य में मेरी मेज पर खाओ-पीओ; वरन् सिंहासनों पर बैठकर इस्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करो। पतरस के इन्कार की भविष्यद्वाणी \ No newline at end of file +\v 28 “परन्तु तुम वह हो, जो मेरी परीक्षाओं में लगातार मेरे साथ रहे; \v 29 और जैसे मेरे पिता ने मेरे लिये एक राज्य ठहराया है, वैसे ही मैं भी तुम्हारे लिये ठहराता हूँ। \v 30 ताकि तुम मेरे राज्य में मेरी मेज पर खाओ-पीओ; वरन् सिंहासनों पर बैठकर इस्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करो। +पतरस के इन्कार की भविष्यद्वाणी \ No newline at end of file diff --git a/22/33.txt b/22/33.txt index 3ac7568..a3ff966 100644 --- a/22/33.txt +++ b/22/33.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 33 उसने उससे कहा, “हे प्रभु, मैं तेरे साथ बन्दीगृह जाने, वरन् मरने को भी तैयार हूँ।” \v 34 उसने कहा, “हे पतरस मैं तुझ से कहता हूँ, कि आज मुर्गा तब बाँग देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा कि तू मुझे नहीं जानता।” यातना सहने को तैयार रहो \ No newline at end of file +\v 33 उसने उससे कहा, “हे प्रभु, मैं तेरे साथ बन्दीगृह जाने, वरन् मरने को भी तैयार हूँ।” \v 34 उसने कहा, “हे पतरस मैं तुझ से कहता हूँ, कि आज मुर्गा तब बाँग देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा कि तू मुझे नहीं जानता।” +यातना सहने को तैयार रहो \ No newline at end of file diff --git a/22/37.txt b/22/37.txt index 2680822..e3ad1a7 100644 --- a/22/37.txt +++ b/22/37.txt @@ -1 +1 @@ -\v 37 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि यह जो लिखा है, ‘वह अपराधी के साथ गिना गया,’ उसका मुझ में पूरा होना अवश्य है; क्योंकि मेरे विषय की बातें पूरी होने पर हैं।” (गला. 3:13, 2 कुरि. 5:21, यशा. 53:12) \v 38 उन्होंने कहा, “हे प्रभु, देख, यहाँ दो तलवारें हैं।” उसने उनसे कहा, “बहुत हैं।” जैतून के पहाड़ पर यीशु की प्रार्थना \ No newline at end of file +\v 37 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि यह जो लिखा है, ‘वह अपराधी के साथ गिना गया,’ उसका मुझ में पूरा होना अवश्य है; क्योंकि मेरे विषय की बातें पूरी होने पर हैं।” (गला. 3:13, 2 कुरि. 5:21, यशा. 53:12) \v 38 उन्होंने कहा, “हे प्रभु, देख, यहाँ दो तलवारें हैं।” उसने उनसे कहा, “बहुत हैं।” 'जैतून के पहाड़ पर यीशु की प्रार्थना \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 52f0098..740bd91 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -355,30 +355,21 @@ "21-14", "21-20", "21-25", - "21-27", "21-29", - "21-32", "21-34", "21-36", "21-37", "22-title", - "22-01", "22-03", - "22-05", "22-07", "22-10", - "22-12", "22-14", "22-17", "22-19", - "22-21", "22-24", "22-26", - "22-28", "22-31", - "22-33", "22-35", - "22-37", "22-39", "22-41", "22-43",